1986 के बाद 2024 में हुई इस तरह की रिकॉर्डतोड़ बारिश, खुशी से झूमे किसान, गेहूं-सब्जी-चना-मसूर आदि के लिए जारी हुई यह सलाह

गेहूं, चना, अरहर, मसूर, और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए कृषि विशेषज्ञ द्वारा सलाह दी गई है की बारिश के बाद वह क्या करें जिससे उन्हें बंपर पैदावार मिले-

बारिश से खुश हुए किसान

सर्दी के बीच में बारिश होने के बावजूद किसान बेहद खुश है। क्योंकि इससे उनका काम बन रहा है। अच्छी फसल लेने के लिए बारिश की जरूरत थी। जी हां आपको बता दे की बुंदेलखंड में हुई बारिश के बाद किसानों को पानी की कमी से राहत मिली है। सागर, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना में बढ़िया बारिश हुई है। ऐसी बारिश 1986 में दिसंबर महीने में हुई थी। जिसके बाद 2024 के दिसंबर महीने में हुई है। जिसमें 16 घंटे में 35.8 मिलीलीटर यानी कि डेढ़ इंच बारिश दर्ज हुई है। लेकिन जैसे ही मौसम साफ होता है तेज ठंडी पड़ने लगेगी। लेकिन यह बारिश किसानों के लिए जरूरी थी।

क्योंकि इस समय तालाब कुएं के पानी कम होने लगते हैं। जिससे उन्हें सिंचाई के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लेकिन बारिश होने के बाद उन्हें यह समस्या नहीं आएगी। चलिए जानते हैं बारिश के बाद कृषि विशेषज्ञ ने किसानों को क्या सलाह दी है।

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अधिक पैदावार के लिए करें ये काम

नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार विभिन्न फसलों के किसानों को बरसात के बाद क्या काम करना है यह बताया गया है-

  • सबसे पहले गेहूं की खेती करने वाले किसानों की बात कर लेते हैं तो अगर आपकी फसल 20 से 25 दिन की हो गई है तो फसलों में पोषक तत्व की कमी हो सकती है, इस कमी को पूरा करने के लिए एक तिहाई यूरिया खाद डाल सकते हैं। लेकिन जिनकी फसल 40 से 45 दिन की है वह यूरिया या फिर नैनो यूरिया का स्प्रे भी कर सकते हैं। इससे अच्छा पोषण उन्हें मिल जाएगा। यूरिया हल्की सिंचाई के बाद डालने से बढ़िया फायदा होता है।
  • वह किसान जो सब्जियों की खेती करते हैं तो बढ़िया मिट्टी भुरभुरी होने के लिए निराई-गुड़ाई कर दे और जड़ों से मिट्टी हट गई है तो मेड बनाकर मिट्टी चढ़ा दे। बारिश के बाद खरपतवार हो गई जायेगी जिसके लिए उन्हें निराई गुड़ाई करना जरूरी हो जाता है।
  • इसके बाद वह किसान जो चना, मसूर, अरहर, जैसी दलहनी फसलों की खेती करते हैं उन्हें अपनी फसल को कीटों से बचाना पड़ेगा। इसके नियंत्रण के लिए नीम तेल 5 एमएल 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़क सकते हैं। अगर प्रकोप अधिक बढ़ गया है तो रासायनिक दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन प्रारंभिक स्टेज पर है तो नीम तेल से भी काम चल जाएगा। कीटों की वजह से उत्पादन घट सकता है।

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नमस्ते, मैं निकिता सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रही हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी तरो ताजा खबरें बताउंगी। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद 

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