चने की फसल में उकठा रोग लग जाता है जिससे किसानों को नुकसान होता है, फसल खराब हो जाती है, पैदावार घट जाती है तो चलिए इस लेख में हम उकठा रोग से फसल बचाने का तरीका जाने।
चना की खेती
चने की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है। कई वैरायटी के चना मंडी में डिमांड में रहते हैं। चना की खेती में किसानों को कई फायदे हैं जैसे की जमीन उपजाऊ होती है और कम पानी में इसकी खेती किसान कर सकते हैं। लेकिन चना की खेती में उकठा रोग की समस्या आती है। जिससे उत्पादन घट सकता है तो चलिए जानते हैं उकठा रोग को कैसे दूर करें। ताकि किसानों को पैदावार घटने से नुकसान ना हो।
उकठा रोग की समस्या
चने की फसल में उकठा रोग लग जाता है तो फसल पूरी तरह से खराब होने की संभावना रहती है। पैदावार 10 से 12% तक घट सकती है। इससे चने की क्वालिटी पर भी असर पड़ता है। फली का विकास रुकता है। यह उकठा रोग फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम प्रजाति साइसेरी नामक फफूंद से होता है। चलिए जानते है इस रोग की पहचान किसान कैसे कर सकते है।
उकठा रोग के लक्षण
उकठा रोग की पहचान किस आसानी से कर सकते हैं। इसे पहचानने के कई तरीके हैं। बताया जाता है कि यह मिट्टी और बीज से जुड़ी बीमारी होती है। इसे पहचानने के लिए पौधे की जड़ में एक चीरा लगा लीजिए। जब उसमें काली संरचना दिखाई दे रही है तो समझ जाइए की उकठा रोग की समस्या है। इस रोग से जेड कमजोर हो जाती हैं और पत्तियां भी गिरने लगती हैं। पौधे को देखकर भी समझ में आता है की पत्तियां सूख रही हैं, पौधा मुरझा रहा है, तो आप चीरा लगाकर देख सकते हैं कि क्या काली संरचना भी है अगर ऐसा है तो उकठा रोग की समस्या है।
उकठा रोग से बचाव
उकठा रोग से चने की फसल को बचाने के उपाय है। जिसमें जब यह रोग फसल में लगना शुरू हुआ है उस समय कवकनाशी का डाल सकते है। इसका सही मिश्रण और सुरक्षा उपाय कर सकते है। साथ ही बता दे कि जब चीरा लगाने पर काली संरचना दिख रही है तो कार्बेन्डाजिम 50 डब्लयू.पी.0.2 प्रतिशत घोल का पौधे की जड़ों में छिड़क सकते है। इससे फसल से यह रोग दूर होगा। अगर किसान इस रोग का पहचान नहीं कर पा रहे है तो अपने कृषि विषेशज्ञ से सम्पर्क करें।