लहसुन के गांठे होंगी बड़ी-बड़ी, किसानों को होगा तगड़ा मुनाफा, पत्ते पीले पड़ने या मुरझाने की समस्या ऐसे करें हल।
लहसुन की फसल में आने वाली समस्या
लहसुन की खेती में किसानों को मुनाफा है। लहसुन का इस्तेमाल साल भर लोग करते हैं। लहसुन की हरी पत्ती के साथ-साथ गांठ का भी इस्तेमाल किया जाता है। लहसुन का किसान लंबे समय तक भंडारण आसानी से कर पाते हैं, इसलिए इससे नुकसान नहीं होता। लेकिन अगर लहसुन की बड़ी गांठे किसानों को मिलेंगी तो ज्यादा मुनाफा होगा, अच्छी कीमत मिलेगी। लहसुन की क्वालिटी बहुत मायने रखती है, उसकी कीमत तय करने के लिए।
लेकिन लहसुन की फसल में कई तरह की समस्याएं आती है जैसे कि पत्ती का पीला पड़ना, मुरझाना, गांठे छोटी होना और गाँठ की क्वालिटी खराब होना, इसके लिए किसानों को खेती के दौरान ही उपाय करने होंगे। तो चलिए जानते हैं कि लहसुन का पत्ता कैसे स्वस्थ रखें और गांठ को छोटा होने से कैसे बचाएं।
लहसुन खेती में किन बातों का रखें ध्यान
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जानिए लहसुन की खेती करते समय किन बातों का महत्वपूर्ण रूप से ध्यान रखना चाहिए।
- अच्छी पैदावार के लिए किसानों को मिट्टी का पीएच मान जरुर चेक करवाना चाहिए।
- लहसुन की खेती के लिए 6 से 7 के बीच का पीएच मान अच्छा माना जाता है।
- इसके अलावा मिट्टी सूखी और ढीली होनी चाहिए।
- लहसुन की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। इससे पत्ते खराब हो जाते हैं, जिससे कंद और गांठ पर भी असर दिखाई पड़ता है।
- लहसुन की खेती में किसानों को जल निकासी का पूरा ध्यान रखना चाहिए। खेत में पानी बिल्कुल ना रुके।
- जहां पर आप लहसुन की खेती कर रहे हैं वहां पर पूरे दिन की बढ़िया धूप आनी चाहिए।
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लहसुन की फसल के लिए खाद
लहसुन की फसल अच्छी हो किसी तरह की रोग बीमारी की समस्या ना आए और गाँठ की क्वालिटी भी बड़ी हो इसके लिए किसान खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिसमें जैविक खाद डालना ज्यादा बेहतर होगा। लेकिन अगर रासायनिक खाद का इस्तेमाल करते हैं तो चलिए नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार उसके बारे में जानते हैं।
- अगर लहसुन की फसल आपको अच्छी नहीं दिख रही है, पत्तियों का रंग सही नहीं है, उनमें धब्बा दिखाई दे रहा है, या माहू का आक्रमण दिखाई पड़ रहा है, पत्तियां हरी के बजाय पीली-मुरझाई हुई दिख रही है तो इसका मतलब है कि आपको खाद पानी का ध्यान रखना होगा। सबसे पहले तो ऊपर बताई गई चीजों पर काम करें उसके बाद खाद की बात करें तो यूरिया खाद सिंचाई, गुड़ाई के बाद डाल सकते हैं। इससे पोषण मिलेगा।
- इसके अलावा यह भी बताया जाता है कि 15 दिन के अंतराल में 2 के घोल छिड़कने का भी विकल्प है।
- जिसमें एक है रोगर, जिसे 1 मिली लीटर पानी में मिलाकर छिड़कना होता है। अधिक मात्रा में ना इस्तेमाल करें।
- फिर दूसरा बताया जाता है कि नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जो की घुलनशील लेना है और 80 ग्राम 1 लीटर पानी में मिलाकर फसल में छिड़कना है। इससे भी फायदा है।
लेकिन अगर आपकी फसल में खाद, पानी आदि की समस्या नहीं है तो इसके लिए मिट्टी की जांच कराएं। कृषि विशेषज्ञ से संपर्क करें। हो सकता है कि फसल में कोई अन्य बीमारी है, जैसे कि क्लोरोसिस। इसके बारे में मिट्टी की जांच कराने पर पता चलेगा और किस पोषक तत्व की कमी है यह भी पता चल जाएगा। क्योंकि सभी खाद में हर तरह के पोषक तत्व नहीं होते हैं। आप अपनी मिट्टी की जरूरत के अनुसार पोषक तत्व यानी की खाद देंगे तो ज्यादा फायदा होगा।