अगर बरसात के बाद सब्जी की खेती करना चाहते हैं, तो एक बीघा में कौन-सी फसल लगाई जाए जिससे ₹1,40,000 तक की कमाई हो सके? आइए जानते हैं।
बरसात के बाद सब्जियों की खेती
बरसात का मौसम खत्म होने वाला है। इसके बाद कई किसान सब्जियों की खेती करने की तैयारी में लग जाते हैं। आज आपको एक ऐसी मुनाफे वाली सब्जी की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी पैदावार कम जमीन और कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है। बरसात के बाद तुरई की खेती एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
एक बीघा में तुरई की खेती से ₹1,40,000 की कमाई आराम से की जा सकती है। अगर तुरई के बाजार भाव की बात करें, तो यह ₹20 से ₹30 प्रति किलो के बीच चल रहा है। ऐसे में यदि एक बीघा से किसान 70 क्विंटल भी उत्पादन ले लेते हैं, तो ₹20 के भाव से भी ₹1,40,000 तक की कमाई हो सकती है। आपको बता दें कि एक बीघा में 60 से 80 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है। आइए अब बताते हैं तुरई की खेती का सही तरीका जिससे अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सके।

खेती का ये तरीका देगा बंपर उत्पादन
तुरई की खेती से अधिक उत्पादन लेने के लिए सही तकनीक से खेती करना ज़रूरी है। बरसात के बाद तुरई की खेती करने का एक फायदा यह भी होता है कि उस समय मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है। जिसमें ऐसी जमीन का चयन करें जहाँ पानी की निकासी अच्छी हो। खेत में पानी बिल्कुल भी नहीं रुकना चाहिए। फिर बुवाई के बाद शुरुआत में 15 दिन तक मिट्टी में नमी बनाए रखें, इसके बाद सिंचाई आवश्यकतानुसार करें। तुरई के बीज बरसात के बाद लगाएं, जब मिट्टी में हल्की नमी हो। इससे अंकुरण अच्छा होता है।
तुरई की खेती में यह भी फायदा है कि फसल 2 महीने के भीतर तैयार हो जाती है, और इसमें अधिक खर्च भी नहीं आता। खेत की तैयारी करते समय उसमें गोबर की सड़ी हुई खाद मिलाएं। बीजों की बुवाई 1 से 2 फीट की दूरी पर करें। पौधों को सहारा देने के लिए बाँस के खंभे लगाएं या जाल लगाएँ ताकि बेल को सहारा मिल सके। इससे फल की गुणवत्ता भी अच्छी होती है और तुड़ाई में भी आसानी होती है। इससे फसल में रोग भी कम लगते हैं।
बेहतर वैरायटी चुनें मुनाफा होगा ज्यादा
तुरई की अच्छी पैदावार के लिए उचित वैरायटी का चयन बहुत ज़रूरी है। वैरायटी का चुनाव करते समय यह देखें कि वह आपके क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुकूल हो। आइये कुछ अच्छी वैरायटी के बारें में जानें-
- पूसा नस्ल
- अंगूरी तुरई
- हरी चुनरी
- पूसा चिकनी
- भ्रम शक्ति
- पूसा सुप्रिया
इन वैरायटीज़ में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और यह जल्दी उत्पादन देती हैं। जैविक खेती के जरिए भी किसान इन वैरायटीज़ से अच्छी कमाई कर रहे हैं।
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