इस औषधीय फसल की खेती से 120 दिन में करें 3 लाख की कमाई, खर्चा आता है आधा, जानें फसल का नाम।
इस औषधीय फसल की खेती में मुनाफा
नमस्कार किसान भाइयों आज हम आपको एक ऐसी फसल की जानकारी देने जा रहे हैं जिसे की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है। यह एक औषधि फसल है। जैसा कि आप जानते हैं कोरोना के बाद से लोग सेहत के प्रति कितने ज्यादा जागरूक हो गए हैं। जिससे अब मेडिसिनल क्रॉप लगाने पर किसानों को तगड़ा मुनाफा हो रहा है और आने वाले समय में लोग सेहत सही रखने के लिए हर दाम चुकाने को तैयार रहेंगे। कभी इन चीजों की मांग कम नहीं होगी।
जिसमें आज हम बात कर रहे हैं अश्वगंधा की। यह एक बेहतरीन औषधि फसल है। इसकी खेती में किसान वरुण प्रताप सिंह को बहुत ज्यादा फायदा होने वाला है। यह किसान विदिशा मध्य प्रदेश के हैं। यह बताते हैं कि अश्वगंधा की खेती करके इन्हें 4 महीने में 3 लाख का शुद्ध मुनाफा हुआ है, यानी कि खर्चा निकालने के बाद। तो चलिए आपको बताते हैं यह कितने एकड़ में इसकी खेती करते हैं और अश्वगंधा की खेती में इन्होंने कौन से दो फायदे बताएं। जिससे इस खेती में खर्च आधा आता है।
अश्वगंधा की खेती में खर्चा आता है कम
अश्वगंधा की खेती में किसानों को फायदा है। जैसा कि किसान भाई जानते हैं कि ज्यादातर फसलों में खाद-कीटनाशक आदि का खर्चा आता है। लेकिन इस फसल में किसी तरह के पेस्टिसाइड या फर्टिलाइजर का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता है और फिर भी अच्छी पैदावार किसानों को मिलती है। पानी भी सिर्फ दो बार देना होता है। तो अगर किसान भाई कम खर्चे में ज्यादा मुनाफे वाली खेती करना चाहते हैं तो यह खेती कर सकते हैं।
किसान वरुण प्रताप सिंह बताते हैं कि वह 3.5 एकड़ की जमीन में अश्वगंधा की खेती करते हैं और 4 महीने के भीतर-भीतर खर्चा काटकर भी 3 लाख रुपए का मुनाफा ले रहे हैं। वह बताते हैं कि यह कम खर्चीली फसल है। वह इससे बेहद खुश है। जिसमें सितंबर में वह बीज बोते हैं और 4 महीने में कटाई कर लेते हैं।
अश्वगंधा की खेती कैसे करें
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जानिए अश्वगंधा की खेती के बारे में।
- अश्वगंधा की खेती के लिए दोमट या फिर लाल मिट्टी भी अच्छी होती है। जिसका पीएच मान 7.5 से लेकर 8 के बीच रहता है तो अच्छा रहता है।
- इसके अलावा मिट्टी में नमी बनाए रखें।
- अश्वगंधा की खेती रबी और खरीफ दो सीजन में कर सकते हैं।
- अश्वगंधा के पौधे नर्सरी से ले सकते हैं या खुद नर्सरी तैयार करके रोपाई कर सकते हैं।
- पानी की निकासी का ध्यान रखें खेतों में पानी ना रुके।
- इसकी खेती के लिए तापमान की बात करें तो 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान बेहतर होता है और उस क्षेत्र के किसान इसकी खेती कर सकते हैं जहां 500 से 750 मिलीलीटर बारिश होगी।
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