वर्तमान में गेहूं के दाम 2826 क्विंटल चल रहे। दिसंबर महीने के अंतिम दौर में भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में मंडी भाव में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। फिलहाल एमपी की मंडियों में गेहूं के औसत भाव लगभग 2800 से ₹2900 प्रति क्विंटल तक चल रहे है। गेहूं के यह भाव नवंबर महीने के बजे स्थिर है। केवल 0.07 प्रतिशत की बहुत ही कम मात्रा में गिरावट देखने को मिली है। बीते साल दिसंबर महीने की तुलना में इस साल 12.01% की वृद्धि देखी गई है। साल 2025 में फसल की कटाई के बाद बाजार में गेहूं की नई आवक आने की संभावना है।
एमपी की मंडियों में गेहूं के भाव
भारत में एमपी एक प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य है। जहां पर दिसंबर 2024 में गेहूं के रेट लगभग 2826 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किए गए हैं। बीते साल दिसंबर महीने की तुलना में इस साल 12.01% की वृद्धि देखी गई है। गेहूं की कीमत में वृद्धि फसल की गुणवत्ता और मजबूत बाजार की मांग को दिखाती है। एमपी में भाव स्थिर रहने का खास कारण राज्य की मंडियों में आपूर्ति और मांग का संतुलन बताया जा रहा है। अब ऐसे में साल 2025 की गेहूं की फसल की कटाई के बाद में यहां के भाव लगभग 2700 से 2850 रुपए प्रति क्विंटल के मध्य रहने की संभावना है। फसल की आवक के बाद में राज्य भर में औसत भाव राष्ट्रीय औसत के बराबर या उससे ज्यादा रहने की संभावना जताई जा रही है।
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एमपी में गेहूं किसानों की आशाएं
एमपी के किसान खास करके मालवा और निमाड़ क्षेत्र के उत्पादक 2025 में बाजार अच्छा होने की उम्मीद लगा कर बैठे हैं। अब ऐसे में किसानों का मानना है कि इस बार मौसम अनुकूल रहा है। जिससे फसल की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिला है। अब ऐसे में किसान उम्मीद कर रहे हैं कि गेहूं का दाम ₹3000 प्रति क्विंटल से ज्यादा मिलेगा।
मंडियों में अगर गेहूं की आवक बढ़ती है और सरकारी खरीद नीतियों में परिवर्तन होता है तो ऐसे में उनकी कमाई पर पूरा असर देखने को मिलेगा। किसानों का यह भी मानना है की फसल कटाई के बाद में मंडी प्रबंधन और परिवहन सुविधाओं में सुधार से उनके खर्च कम हो सकते हैं जिससे वह अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
बाकी राज्यों में गेहूं के दाम
बिहार की बात करें तो यहां दिसंबर 2024 में गेहूं के भाव लगभग 2892 रुपए प्रति क्विंटल थे जो कि पिछले महीने के मुकाबले 3.84 प्रतिशत और सालाना आधार पर 13.1% ज्यादा है। बिहार के किसान फसल की कटाई के बाद में मंडी में मजबूत भाव की उम्मीद कर सकते हैं। हरियाणा में गेहूं के दामों में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है यहां नवंबर की तुलना में 6.92% दाम कम हुए जो की 2610 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच चुके हैं।
हालांकि साल-दर-साल पर इसमें 16% की वृद्धि भी दर्ज की गई है। गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में दाम लगभग स्थिर बने हुए हैं यहां मामूली सी गिरावट के बावजूद वार्षिक वृद्धि लगभग 9.04 प्रतिशत और 12.288 प्रतिशत दर्ज की गई है। वही महाराष्ट्र में सालाना वृद्धि सबसे ज्यादा रही है यहां पर भाव 3766 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए जो की दिसंबर 2023 की तुलना में लगभग 26.59 प्रतिशत ज्यादा दर्ज किए गए हैं। पंजाब में गेहूं के भाव लगभग 29990 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किए गए जो कि नवंबर से 28.82 प्रतिशत ज्यादा है वही वृद्धि सरकारी खरीद में कमी और निजी खरीद की वृद्धि को दर्शाती नजर आ रही है।
साल 2025 में गेहूं के दाम
आने वाले साल 2025 में फसल की कटाई हो जाने के बाद में मंडियों में गेहूं की आवक बढ़ जाएगी। ऐसे में भाव में कमी आने की संभावना जताई जा रही है। फरवरी और मार्च के महीने में कटाई के समय हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में भाव 2600 से ₹2900 प्रति क्विंटल के बीच हो सकते हैं। साल 2025 के बीच में आते तक मांग में सुधार और अंतरराष्ट्रीय मार्केट में संभावित निर्यात वृद्धि के कारण भाव लगभग 3000 से 3200 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ाने की उम्मीद की जा रही है ऐसे में खास रूप से मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में उच्च गुणवत्ता वाली फसलों के कारण प्रीमियम दरों की संभावना जताई जा रही है।
किसानों के लिए महत्वपूर्ण सलाह
किसानों के लिए खास सलाह है कि उनको रुझानों पर लगातार नजर बनाई रखनी चाहिए और अपने उपज बेचने के लिए रणनीति समय पर तय कर लेनी चाहिए साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि या सरकारी खरीद की नीति 2025 में किसानों को स्थिरता प्रदान कर सकती है। जलवायु की स्थिति और वैश्विक बाजार की डिमांड भी गेहूं की कीमतों को बहुत हद तक प्रभावित कर सकती है। साल 2025 में गेहूं बाजार स्थित लेकिन सकारात्मक रहने की संभावना है। साथ ही किसान अपनी योजना बनाकर इस बाजार में ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
गेहूं बुवाई की मात्रा में हुई वृद्धि
इस साल गेहूं की बुआई 558 लाख 80 हजार हेक्टेयर में की गई है। वहीं गत वर्ष इस अवधि में लगभग 556 हजार हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। फिलहाल गेहूं की बुवाई लगभग 293.11 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है। फिलहाल लगभग 293.11 लाख हेक्टेयर में की गई है जो की समान अवधि में 284.17 लाख हेक्टेयर में की गई थी। देशभर में रबी की फसलों का सामान क्षेत्र 635.60 हेक्टेयर तय किया गया था।
देशभर में दाने वाली फसलों की बुवाई 17627 लाख हेक्टेयर में की गई है। जिसमें दाने की बुवाई लगभग 86.00 लाख हेक्टेयर है। ऐसे में अब तक लगभग 91.60 हेक्टेयर में तिलहनी फसलों की बुवाई हो चुकी है। तिलहनी फसलों की बुवाई में लगभग अब तक 85.56 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है। वही देश में मोरे नराज की बुवाई अब तक 38.75 लाख हेक्टेयर की जा चुकी है। जिसके चलते ज्वार की बनी 19 लाख है वही मक्का 12.10 लाख हेक्टेयर में बोया जा चुका है।