ठेकेदार बना किसान, आज प्राकृतिक खेती के करके किसान के घर हो रही लाखों की बरसात

आज हम आपको एक ऐसे ठेकेदार के बारे में बताने जा रहे है जो एक समय पर ठेकेदारी किया करते थे लेकिन आज इन्होंने ठेकेदारी छोड़ कर प्राकृतिक खेती को अपना लिया है। आज यह किसान प्राकृतिक खेती में आलू की खेती करते है। जिसमें वह किसी प्रकार के कोई भी केमिकल युक्त चीजों का इस्तेमाल नहीं करते है। आज हम आपको जिस किसान के बारे में बताने जा रहे है जिनका नाम संदीप सिंह है जोकि उत्तरप्रदेश के कौशांबी जिले के शाहपुर गांव के निवासी है।

किसान ने पहले 20 साल ठेकेदारी में जमकर मुनाफा कमाया। लेकिन जब इन्होंने रासायनिक खेती के नुकसान के बारे में जाना तब इन्होंने निश्चय किया कि वह प्राकृतिक खेती कर लोगो को शुद्ध सब्जियां उपलब्ध करवाएंगे। जिसके बाद इन्होंने प्राकृतिक खेती का निर्णय लिया।

उर्वरकों के नुकसान

किसान का कहना है कि जब इन्होंने खाद के नुकसान के बारे में जाना तक इन्होंने फैसला किया कि वह ठेकेदारी को त्याग कर खेती करेंगे। इनका कहना है कि इनके गांव में इन्होंने जाना कि सब रासायनिक और केमिकल से भरे हुए खादों का इस्तेमाल करते है। जिसका असर बहुत बुरा है और लोगों के शरीर पर पड़ रहा है। इसलिए इन्होंने प्राकृतिक खेती के जरिए सब्जियों की खेती शुरू की।

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प्राकृतिक खेती में दिखाई रुचि

प्राकृतिक खेती की सोच को लेकर इस किसान को प्रेरणा मिली जिसके बाद इन्होंने इसमें रुचि दिखाते हुए दीनदयाल कृषि विज्ञान केंद्र, सतना के वैज्ञानिको से इसके बारे में जानना शुरू किया। प्राकृतिक खेती कैसे की जाती है इसके बारे में जाना।

कई फसलों की कर रहे खेती

किसान 16 एकड़ जमीन में प्राकृतिक खेती करते हैं जिसमें इन्होंने लगभग 9.5 एकड़ जमीन में गेहूं और 5 एकड़ में सरसों इसके साथ 2.5 एकड़ में आलू की खेती शुरू की है जो कि यह पूरी प्राकृतिक रूप से तैयार की जाती है। आपको बता दे की 130 दिनों में आलू की फसल तैयार हो जाती है और प्रति एकड़ लगभग 110 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।

प्राकृतिक खादों का इस्तेमाल

किसान का कहना है कि बीज उपचार के लिए इन्होंने बिजामृत का इस्तेमाल किया और खाद के लिए लगभग 10 लीटर जीवामृत और 200 लीटर पानी में अच्छे से मिला करके दो बार आलू की फसल पर स्प्रे कर देते हैं इससे रोगों से फसल को बचाया जा सकता है। आलू को पछेती रोग से बचाने के लिए किसान 100 लीटर पानी में खट्टी छाछ मिला करके इसका स्प्रे कर लेते हैं। जिससे फसल में इस रोग से मुक्ति मिल जाती है।

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