आईपीएम तकनीकी क्या है? जो खेती की लागत करे कम, रासायनिक कीटनाशकों से मुक्ति दिलाए, किसान और पर्यावरण के लिए बनी वरदान

इस लेख में आपको आईपीएम तकनीकी की जानकारी दी गई है। जिससे खेती के लागत को कम किया जा सकता है और रासायनिक कीटनाशकों से छुटकारा भी-

रासायनिक कीटनाशक से छुटकारा

खेती किसानी में कई तरह की लागत आती है तथा अधिक उत्पादन लेने के लिए किसान लंबे समय से रासायनिक उर्वरक और रासायनिक कीटनाशक का इस्तेमाल कर रहे हैं। रासायनिक उर्वरक से भी मिट्टी खराब होती है, और किसान की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। पर्यावरण प्रदूषण होता है। इसके अलावा रासायनिक कीटनाशक की बात करें तो कीटों को नियंत्रित करने के लिए किसान इसका छिड़काव करते हैं। नहीं तो कीट पूरी फसल बर्बाद कर देते हैं।

लेकिन ऐसा नहीं है किसानों के पास अन्य भी समाधान है। जिनका इस्तेमाल करके बिना रासायनिक कीटनाशक के भी अपनी फसल को कीटों से बचा सकते हैं, तो चलिए आपको आईपीएम तकनीकी के बारे में बताते हैं।

आईपीएम तकनीकी

किसान रासायनिक कीटनाशक से छुटकारा प्राप्त करना चाहते हैं तो आईपीएम तकनीकी इसमें मदद कर सकती है। यह एकीकृत कीट प्रबंधन तकनीक है जो किसानों के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है। किसी से खेत की मिट्टी में रासायनिक कीटनाशक नहीं पड़ेगा। जिससे मिट्टी भी उपजाऊ रहेगी। साथ ही रासायनिक कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो किसान की सेहत पर भी बुरा असर नहीं पड़ेगा। आईपीएम के अंतर्गत कीटनाशकों का सफाया करने के लिए स्टिकी ट्रैप, सोलर ट्रैप और जैविक नियंत्रण तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। स्टिकी ट्रैप और सोलर ट्रैप एक ऐसे जुगाड़ है जिससे कीटों का सफाया किया जा सकता है और किसी तरह के पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होता है।

ना ही फसल, मिट्टी, किसी को प्रभाव पड़ता है। स्टिकी ट्रैप में पीले-नीले रंग के चिपचिपे पेपर होते हैं। जिन्हें खेतों में जगह-जगह पर लगाया जाता है, और कीट इससे चिपक कर दोबारा निकल नहीं पाते हैं। वही सोलर ट्रैप की बात करें तो इसमें बल्ब लगा होता है और कीट इसकी तरफ खिंचकर तरल पदार्थ में गिरकर खत्म हो जाते हैं। यह दोनों कमाल के जुगाड़ है। जिनका इस्तेमाल सब्जियों की खेती करने वाले किसान बहुतायत रूप से कर रहे हैं।

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लागत कम मुनाफा अधिक

आईपीएम तकनीकी सिर्फ किसानों की सेहत या मिट्टी की सेहत के लिए फायदेमंद के साथ-साथ इससे खेती की लागत भी कम हो रही है। क्योंकि आईपीएम अपनानें वाले किसानों का कहना है कि उन्हें अब उत्पादन अधिक मिल रहा है और बिना कीटनाशक के इस्तेमाल के उपज की अच्छी कीमत मिलती है। स्वाद भी बेहतर होता है। रासायनिक कीटनाशक का खर्चा कम हो जाता है। यह किसानों को सस्ते पड़ते हैं। इस तरह बिना कीटनाशकों के सब्जियों की खेती करते हैं।

स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल टमाटर, गोभी, शिमला, मिर्च, खीरा, ब्रोकली और फूलों की खेती आदि में कर सकते है। इस तरह यह एक जैविक तरीका है जिससे शुद्ध सब्जियां मिलती हैं। कीट इन टेप में आकर चिपक कर खत्म हो जाते हैं।

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