कड़ाके की ठंड में सरसों की फसल में लग सकते हैं यह रोग, जानें इनके लक्षण और बचाव के उपाय

सरसों की फसल में ठंड के समय में बहुत ज्यादा नुकसान होने की संभावना रहती है। ऐसे में जब बहुत ज्यादा ठंड और कोहरा पड़ने लगता है तब सरसों की फसल में कई तरह के रोग होने की समस्या नजर आती है। अब ऐसे में फसल में बहुत हद तक नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। किसानों को ऐसे में इन रोगों से फसल को बचाने के लिए कुछ उपाय आजमानी चाहिए जो आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए बताएंगे। आइए जानते हैं कि कैसे आप सरसों की फसल को इन रोगों से बचा सकते हैं।

सरसों की फसल के लिए ठंड है नुकसानदायक

कड़ाके की ठंड सरसों की फसल के लिए बहुत घातक साबित होती है। सर्दियों के मौसम में तापमान में लगातार गिरावट होती है जिसकी वजह से ठंड पाल और कोहरा सरसों की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। आइए इससे बचाव के उपाय बताते हैं।

सरसों में लगने वाले रोगों के लक्षण और उससे बचाव

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आल्टरनेरिया ब्लाइट रोग

लक्षण:- आल्टरनेरिया ब्लाइट एक ऐसा रोग है इसके लक्षण कुछ इस प्रकार है जिसमें पत्तियो, तनों और फलियो पर गोल या अनियमित भूरे और काले धब्बे नजर आते हैं। धब्बों के चारों ओर पीले रंग का घेरा बना हुआ होता है। यह रोग बढ़ने पर पौधे की पत्तियां झड़ने लगती है। इस रोग के यह लक्षण है।

बचाव:- फसल पर मैंकोजेब 75% WP का स्प्रे कर देना चाहिए। साथ ही आपको इस रोग से बचाव के लिए हवा का प्रवाह बनाए रखने के लिए पौधे को थोड़ी-थोड़ी दूरी पर लगाना चाहिए जिससे इस रोग से बचाव हो सके।

सफेद रतुआ रोग

लक्षण:- इस रोग में पत्तियों के नीचे सफेद कलर के फफोले आते हैं। वही तनो और फलियां पर सफेद चकते नजर आते हैं। इसके साथ ही फूलों में विकृति और फलियों का विकास रुक जाता है।

बचाव:- इस रोग से बचाव के लिए आपको मेटालेक्सिल 8%+ मेंकोजेब 64% WP का छिड़काव कर देना चाहिए।

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झुलसा रोग

लक्षण:- इस रोग में पत्तियों के ऊपर की सतह पर पीले कलर के धब्बे आने लगते हैं साथ ही पत्तियों के निचले भाग पर सफेद और भूरे फफूंद के लक्षण दिखाई देते हैं। सरसों की फसल में पूरी तरह से वृद्धि रुक जाती है।

बचाव:- फसल को पाले और कोहरे से बचने के लिए आपको ऐसे में डाईमेथोमार्फ या फिर एज़ोक्सीस्ट्रोबिन का छिड़काव कर देना चाहिए जिससे फसल सुरक्षित रहेगी।

पाउडरी मिल्ड्यू रोग

लक्षण:- इस रोग में पत्ती और तनों पर सफेद चूर्ण जैसे फफूंद नजर आते हैं। वही पत्तियां मुरझाकर गिरने लग जाती है साथ ही पौधा भी कमजोर हो जाता है।

बचाव:- इसके बचाव के लिए आपको सल्फर 80% WP कर स्प्रे कर देना चाहिए। साथ ही रोग के प्रारंभिक अवस्था में ही फफूंद नाशकों का इस्तेमाल कर लेना चाहिए। जिससे इस रोग से छुटकारा मिल सके।

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नमस्ते, मैं चंचल सौंधिया। मैं 2 साल से खेती-किसानी के विषय में लिख रही हूं। मैं दुनिया भर की खेती से जुड़ी हर तरह की जानकारी आप तक पहुंचाने का काम करती हूं जिससे आपको कुछ लाभ अर्जित हो सके। खेती किसानी की खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद

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