लक्ष्य से 8 गुना ज्यादा है चावल का स्टॉक तो वहीं गेहूं के स्टॉक में आई गिरावट, गेहूं के रेट तोड़ सकते है सारे रिकॉर्ड

फिलहाल गेहूं के रेट में तेजी तो बनी हुई ही है इसके साथ ही चावल के स्टॉक की तरफ नजर डालें तो चावल का स्टॉक लगभग 60.9 मिलियन टन के करीब है जो कि लक्ष्य से 8 गुना ज्यादा है। वहीं गेहूं का स्टॉक लगातार कम होता जा रहा है। इसके साथ ही जहां चावल के निर्यात में तेजी की उम्मीद की जा रही है। वहीं गेहूं की कीमत लगातार तेजी की तरफ जाती नजर आ रही है।

अब ऐसे में विशेषज्ञों का कहना यह भी है कि चावल का इतनी ज्यादा मात्रा में स्टोरेज होना सरकार के लिए एक बहुत बड़ी मुसीबत साबित हो सकती है। साथ ही कई राज्यों में धान की खरीद अभी भी जारी है जिसके चलते भंडारण के लिए जगह की भी जरूरत पड़ सकती है। इस भंडारण से सरकार के लिए आने वाले समय में मुसीबतें बढ़ सकती है।

गेहूं के स्टॉक में गिरावट

एक तरफ जहां चावल का स्टॉक लगातार बढ़ता जा रहा है वहीं दूसरी तरफ गेहूं के स्टॉक में लगातार गिरावट नजर आ रही है। 1 जनवरी को जहां गेहूं का स्टॉक लगभग 18.4 मिलियन टन बताया गया था जो सरकार के 13.8 मिलियन टन के लक्ष्य से बहुत ज्यादा है वही बता दे कि यह बीते 5 साल के औसत लगभग 26.7 मिलियन टन से बहुत ही कम है।

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चावल के निर्यात में आ रही तेजी

चावल के स्टॉक में लगातार वृद्धि होती नजर आ रही है वहीं भारत के चावल निर्यात को गति मिलती दिखाई दे रही है। बता दे कि बीते साल सितंबर और अक्टूबर में चावल निर्यात पर लगे हुए ज्यादातर प्रतिबंध हटाने के बाद निर्यात में बहुत ज्यादा तेजी देखने को मिल रही है। अब ऐसे में यह सरकार के लिए मुसीबत साबित हो सकती है।

गेहूं के दामों में बढ़ोतरी

गेहूं के लगातार स्टॉक में कमी आने की वजह से लगातार गेहूं की कीमतें बढ़ती नजर आ रही है। बढ़ती डिमांड और कमी की वजह से आटा मिलो और थोक उपभोक्ताओं को परिचालन में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गेहूं की कीमतें ऐसे में सरकार के लिए दिक्कत बन चुकी है।

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सरकार की प्लानिंग

साल 2025 में मार्च के समय थोक उपभोक्ताओं को लगभग 2.5 मिलियन पर गेहूं बेचने की प्लानिंग करनी तैयार की जा रही है। जो कि बीते साल के लगभग 10 मिलियन टन के मुकाबले बहुत ही कम मात्रा में है। जिससे बाजार में गेहूं की उपलब्धता और भी कम होती नजर आ रही है। इससे गेहूं की कीमतों पर बहुत बड़ा प्रभाव देखने को मिल रहा है।

कल्याणकारी योजनाओं को बनाया जरिया

काकीनाड़ा के चावल निर्यातक का कहना है कि धान की खरीदारी जारी रहने की वजह से स्टॉक की समस्या और ज्यादा बढ़ जाएगी। ऐसे में सरकार को इस बात पर ध्यान देना होगा कि भंडारों को कल्याणकारी योजना के माध्यम से कैसे निपटाया जाए और साथ ही चावल के बढ़ते भंडारण और गेहूं के कमी के चलते सरकार को इस चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। अब ऐसे में सरकार के लिए चावल निर्यात के जरिए राहत की संभावना है लेकिन वही गेहूं के स्टॉक को ठीक करने के लिए संभालने के लिए कोई ठोस कदम उठाना होगा। वरना गेहूं की कीमत आसमान छूएगी।

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