आवारा-जंगली पशुओं का है खेत में आतंक तो करे ये खेती, लाखो में होगी आमदनी, पशुओं से नहीं खतरा, जानिये इस फसल की जानकारी। बढ़िया होगी कमाई, सुरक्षा की नहीं रहेगी चिंता।
आवारा-जंगली पशुओं का है खेत में आतंक ?
आज हम एक ऐसी फसल के बारे में जानने वाले हैं। जिसकी खेती अगर किसान करते हैं तो उन्हें फसलों की सुरक्षा जंगली जानवरों से नहीं करनी पड़ेगी। क्योंकि इनके पौधों को जानवर छूते भी नहीं है, बल्कि दूर भागते हैं। लेकिन इसकी खेती किसानों को और भी फायदे है। इसमें किसी तरह का कोई रोग नहीं लगता। आपको बता दे कि उत्तर प्रदेश के कई ऐसे किसान है जो लखपति बन चुके हैं तो चलिए जानते हैं यह कौन-सी खेती है, जिससे किसानों को मुनाफा है लेकिन जंगली जानवर खेत के आसपास नहीं भटकते है।
मेंथा की खेती में है कमाई पशु भी रहते है दूर
दरअसल हम मेंथा की खेती की बात कर रहे हैं, जिसे पिपरमेंट भी कहा जाता है और यह पुदीने के परिवार का है। इसकी गंध ऐसी होती है कि आवारा पशु या जंगली जानवर इससे दूर रहते हैं तो अगर आप आवारा पशुओं के आतंक से परेशान है तो इसकी खेती कर सकते हैं। इसकी डिमांड बाजार में बढ़िया है। जिससे अच्छी कीमत भी मिलती है। इससे सुंगंधित तेल बनाया जाता है। इसका इस्तेमाल कई तरह की दवाइयों को बनाने में किया जाता है। इतना ही नहीं माउथ फ्रेशनर बनाने वाली कंपनिया भी मांग करती है। यह सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होता है। इसकी खेती कैसे करें।
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ऐसे करें मेंथा की खेती
मेंथा की खेती करने में किसानों को फायदा ही फायदा है, और इसे लगाना भी बेहद आसान है। आपको बता दे की इनके पौधों को ही काटकर नर्सरी तैयार की जाती है, और फिर मिट्टी में रोपा जाता है। मेंथा की खेती के लिए दोमट के साथ-साथ मटियारी दोमट मिट्टी बढ़िया होती है। जिसमें मिट्टी का पीएच मान 6 से लेकर 7.5 के बीच हो तो बेहतर होता है।
साथ ही आपको बता दे कि मेंथा की खेती ऐसी जमीन में की जानी चाहिए जहां पानी की निकासी की व्यवस्था बढ़िया हो, पानी का जमाव ना हो। जिसके लिए आपको खेत की बढ़िया से जुताई करके जमीन को बराबर करके रोपाई करना चाहिए। फिर 90 दिनों के भीतर की फसल तैयार हो जाती है। पानी की बात करें तो सप्ताह में 1 दिन सिंचाई कर सकते हैं।