गेहूं की फसल देश भर में बोई जा चुकी है। अब ऐसे में किसान सिंचाई और खाद इन सब में लगे हुए हैं। लेकिन आपने गौर किया कि कई लोगों की फसलों में पीलापन नजर आने लगा है। पीलापन आना एक सामान्य बात नहीं है। गेहूं में पीलापन आना किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। गेहूं में पीलापन आने का मतलब है गेहूं की बढ़वार पर असर पड़ना साथ ही उपज पर भी इसका असर होता है। यह एक बहुत गंभीर समस्या है। आइए हम आपको इसके रोकथाम के उपाय बताते हैं।
गेहूं में पीलापन आने का कारण
गेहूं में अगर पीलापन आने लगा है तो इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि आपने गेहूं की फसल में जरूर से ज्यादा सिंचाई कर दी है। जब भारी या कठोर मिट्टी में पहली दूसरी सिंचाई करते हैं उसे समय जरूर से ज्यादा पानी आराम से नीचे जाता है वही जब मिट्टी पानी सोखती है तब पानी ज्यादा गहराई में नहीं जा पता है अब ऐसे में पानी मिट्टी के कानों के साथ बंधा रह जाता है वही हल्की मिट्टी में अपनी गहराई में चला जाता है।
अगर आपके खेत में कठोर मिट्टी है तो ज्यादा सिंचाई करने पर यह अपनी जड़ों के पास जमा हो जाएगा। ऐसा होने पर वहां से वायु बाहर निकल जाएगी और जड़ों को हवा ही नहीं लग पाएगी जिसके कारण ठंड में वशीकरण होना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा और आपकी फसल में पीलापन छा जाएगा। यह एक मुख्य कारण है की फसल में पीलापन आता है। इसके साथ ही पीलापन आने के साथ-साथ फसल की बढ़वार को भी बहुत गहरा असर पड़ेगा।
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पीलेपन से बचाव
- अगर गेहूं में पीलापन ना आए इससे बचाव करने के लिए आपको गेहूं की बुवाई करने से पहले ही कठोर मिट्टी एवं भारी मिट्टी में जैविक पदार्थ का उपयोग कर लेना चाहिए।
- पीलेपन से बचने के लिए गेहूं के पौधों को जरूरत के मुताबिक पहली और दूसरी सिंचाई के अंतर्गत पानी कम देना चाहिए। वह मिट्टी किसी भी प्रकार की हो हल्की मिट्टी हो या भरी मिट्टी हो इन दोनों ही प्रकार की मिट्ठियो में सिंचाई कम मात्रा में करनी चाहिए।
- अगर पीलापन आ चुका है तब आपको इससे बचने के लिए पानी को वाष्पिकरण होकर उड़ने का इंतजार करना होगा। गेहूं के पौधे में पीलापन आने का खास कारण होता है नाइट्रोजन की कमी हो जाना। जिससे बचाव के लिए आपको 15 से 20 किलोग्राम प्रति एकड़ यूरिया का छिड़काव कर देना चाहिए। क्योंकि यूरिया नाइट्रोजन की कमी को पूरा कर देता है।
कोहरा पीलेपन की वजह
एक वजह पीलेपन की कोहरा भी है। गेहूं में पीलापन दो प्रकार से होता है जैसे कभी-कभी केवल पत्ते पीले होते हैं। गेहूं में इस रोग को कोहरे की वजह से देखा जाता है। पीलापन तेज धूप से अपने आप ठीक हो जाता है। आपको फसल में यूरिया का छिड़काव करने के साथ जिंक सल्फेट का छिड़काव भी करना होगा जिससे पीलापन हट जाएगा।
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इसके साथ ही आप इसके लिए प्रति एकड़ बुवाई के समय 10 किलो जिंक डाल सकते हैं। अगर आप आधा किलो जिंक और ढाई किलो यूरिया के घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर मशीन से गेहूं के फसल पर स्प्रे करते हैं तब इससे भी पीली पट्टी का पीलापन चला जाता है।
गेहूं में पीलापन रोकने के कुछ खास उपाय
गेहूं में पीलापन की समस्या जब नजर आती है तो इसका मुख्य कारण होता है नाइट्रोजन की कमी, असंतुलित उर्वरक का इस्तेमाल या फिर मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के वजह से यह दिक्कत उत्पन्न होती है। इस समस्या से बचने के लिए आपको इन उपायों को आजमाना चाहिए।
पीला रतुआ रोग
यह गेहूं में लगने वाला एक मुख्य रोग है। जिसकी वजह से गेहूं में पीलापन छाता है। इससे बचने के लिए आपको इससे प्रभावित हुए सभी क्षेत्रों में अनुवांशिक कटक नाश को जैसे प्रोपिकोनाजोल @0.1% या फिर टेबीकोनाजोल 50% + ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25% @0.06% का छिड़काव करना जरूरी है। इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर आपको 15 दिनों के अंतराल पर स्प्रे दोबारा करना होगा। इसकी वजह से पीले रतुआ रोग के प्रकोप को नियंत्रित करके फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है।
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