समय और पैसा दोनों बचेगा, खेतो में पानी और खाद पहुंचाने के लिए बेहतर और तेज उपकरण, जानें कौन सी है ऐसी मशीन

समय और पैसा दोनों बचेगा, खेतो में पानी और खाद पहुंचाने के लिए बेहतर और तेज उपकरण, जानें कौन सी है ऐसी मशीन। आइये जाने ऐसी कोण सी मशीन है जो समय और पैसा दोनों की बचत करेगी।

समय और पैसा की बचत

आज हम ऐसे सिंचाई करने के बारे में बात करते है। जिसमें पानी और खाद की बचत होती है। इस विधि में पानी को पौधों की जड़ों तक बूंद-बूंद कर के जाता है। जमीन में घटते पानी के जलस्तर को बचाने में भी यह मददगार है। ऐसे किसान भाई लोगो को कम मेहनत के साथ फसल से अच्छा मुनाफा भी कमाने को मिलेगा। समय-समय पर पौधे और जड़ को पानी और खाद की जरूरत होती है

संतुष्ट किसान भाई

इसमें न तो ज्यादा खर्च की जरूरत होती है और न ही ज्यादा मेहनत की। एक किसान है जो गन्ने की खेती ड्रिप इरिगेशन की सहायता से करते है। उनका नाम सुनील सिंह है वो गन्ने की खेती करते हैं। वह उपरोक्त बातों से भी संतुष्ट हैं। उनका कहना है कि अगर खेती सही तरीके से करनी है तो डीप सिंचाई का इस्तेमाल करना चाहिए। खेती कभी घाटे का सौदा नहीं हो सकती।

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ड्रिप इरिगेशन के लिए सामग्री

  • वाल्व
  • पाइप
  • नलियों
  • एमिटर का नेटवर्क

ड्रिप इरिगेशन से सिंचाई

तेडवा बसंतपुर के रहने वाले किसान ड्रिप इरिगेशन से काफी खुश है। ड्रिप इरिगेशन की मदद से खेतो में पानी लगाने की जरूरत नहीं होती है और न ही मजदूर कीआवश्यकता। इसकी मदद से हम अपने खेतो में पानी,खाद आसानी से पौधों को दे सकते है। ड्रिप इरिगेशन से खेतो में पानी का भराव भी नहीं होता है। सबसे बड़ी बात ये है की खेतो में ज्यादा चारा भी नहीं होते है। ड्रिप इरिगेशन से 3 चीजों की बचत होती है। पानी, खाद, पैसे की बहुत बचत है। खेतो में पानी लगवाने के लिए पाइप की जरुरत होती है, खाद बाजार से लाएंगे फिर मजदूरों को पैसा देकर खाद छिड़काव करना पड़ता है, तो अब इन सब की झंझट से दूर होकर ड्रिप इरिगेशन का उपयोग कीजिये। सब काम ड्रिप इरिगेशन करेगी। न तो खाद छिड़काव और खेतो में पानी देने की किचकिच।

ड्रिप इरिगेशन कैसे काम करता है ?

ड्रिप इरिगेशन में पूरे खेतो में ड्रिप पाइप लाइन बिछाई जाती है। ड्रिप पाइप लाइन में थोड़ी-थोड़ी दूरी में छोटे-छोटे छेद होते हैं। पाइप को जड़ो के पास- पास सेट कर देते है। ड्रिप इरिगेशन इंजन चला कर छोड़ दिया जाता है. इसके बाद बूंद-बूंद पानी फसल की जड़ों तक पहुंचता रहता है। सबसे पहले हम बाल्टी में पानी लेते हैं। पानी लेने के बाद हमें खाद मिलाना होता है। खाद और पानी का घोल बनाया जाता है और फिर उसे डीप मशीन में डाला जाता है। डीप मशीन में डालने के बाद हम इंजन चालू करते हैं और डीप मशीन से खाद जड़ों तक पहुंच जाती है। इसे ‘टपक सिंचाई’ या ‘बूंद-बूंद सिंचाई भी कहते हैं।

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