मूंग की खेती करने वाले किसान भारी संकट से बचे, इस दवा के छिड़काव से उल्टा होगा असर, किसान की सेहत बिगड़ने के साथ मित्र कीट भी होंगे खत्म

मूंग की खेती समय किसान करने जा रहे हैं तो चलिए आपको बताते हैं कृषि विभाग ने किसानों को क्या सूचना दी है, जिससे वह दुष्प्रभाव से बच सकते हैं-

मूंग की खेती

मूंग की खेती से किसान मुनाफा कमा सकते हैं। लेकिन उसके लिए उन्नत किस्म का चुनाव करना होगा और आधुनिक कृषि तकनीकी का पालन करके ज्यादा पैदावार ले सकते हैं। मूंग की खेती कम लागत में अधिक फायदा देने वाली फसल है, और यह फसल चक्र में मददगार है। रबी सीजन के बाद खाली पड़े खेत में ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती करके किसान अपनी आय में वृद्धि कर पाते हैं तो जिन किसानों ने गर्मी में मूंग की खेती करने का सोचा है तो चलिए आपको बताते हैं कृषि विभाग द्वारा आपके लिए क्या सूचना जारी की गई है।

कृषि विभाग ने किया सावधान

मूंग की खेती करने वाले किसानों को कृषि विभाग ने एक दवा का इस्तेमाल करने से मना किया है। दरअसल इस दवा का नाम पैराक्वाट एवं ग्लाइफोसेट है। जिसे सफाया भी कहते हैं। इसके अलावा पेस्टिसाइड्स के उपयोग में कमी करने के लिए भी कहा गया है। ग्लाइफोसेट, शाकनाशी दवा है। जिसका इस्तेमाल खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए किसान करते हैं। लेकिन इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है, चलिए आपको बताते हैं कैसे।

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शाकनाशी दवा का दुष्प्रभाव

शाकनाशी दवा अगर किसान मूंग की फसल में इस्तेमाल करते हैं तो कई तरह के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। जैसे की यह किसान की सेहत पर बुरा असर डाल सकती है। जमीन में लंबे समय तक यह बने रहते हैं, जिससे जो किसान के मित्र कीट है वह भी खत्म हो जाते हैं। इस दवा का जब किसान इस्तेमाल करते हैं तो उनके आंख नाक और गले में इसका असर पड़ता है। गले में जलन होने लगती है। त्वचा पर भी प्रभाव पड़ता है। जो किसान इसका इस्तेमाल करें तो मास्क लगाकर करें। आंखों का भी बचाव करें।

यह दावा लंबे समय तक मिट्टी और पानी में रहती है। जिससे सूक्ष्म जीवों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इस दवाई का इस्तेमाल खेतों में करेंगे तो पाचन शोषण संबंधी समस्याएं आएंगी। इससे तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है। इस तरह यह किसान की सेहत पर बुरा असर डालता है। इसलिए किसानों को खरपतवार के लिए इन दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। दूसरे उपाय करने चाहिए। नहीं तो सेहत बिगड़ सकती है, और पैदावार भी घट सकती है। आने वाली फसल को नुकसान हो सकता है।

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