डॉलर चना की खेती में फायदा क्यों है, अधिक उत्पादन कैसे मिलेगा। डॉलर चना की खेती की बुवाई से लेकर कटाई तक की पूरी जानकारी इस लेख में लीजिये।
डॉलर चना की खेती में फायदा
डॉलर चना जिसे काबुली चना भी कहा जाता है, इसकी खेती में किसानों को फायदा है। इसकी खेती करने से उन्हें अच्छा उत्पादन मिलता है। खेत की उर्वरता भी बढ़ती है। साथ ही साथ इसकी कीमत भी अधिक मिलती है। जी हां देसी चना से ज्यादा काबुली चना की कीमत मिलती है तो चलिए आपको इस लेख के जरिए हम बताते हैं कि किसान कैसे डॉलर चना की खेती करें, किन बातों का ध्यान रखें, अधिक उत्पादन के लिए कैसे खाद डालें, सिंचाई कब करें, उन्नत किस्म कौन सी है, कितना समय लगता है, कीमत कितनी मिलती है और उत्पादन कितना होगा।
डॉलर चना की खेती कैसे करें
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार डॉलर चना की खेती के बारे में जाने।
- डॉलर चना की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी अच्छी होती है। वैसे तो किसी भी तरह की मिट्टी में किसान इसकी खेती कर लेते हैं।
- मिट्टी के पीएच मान की बात करें तो 7 हो तो अच्छी उपज मिलती है।
- डॉलर चना की खेती करने के लिए किसानों को शीतोष्ण जलवायु का चयन करना चाहिए। जैसा कि इस समय सर्दी का मौसम है ऐसे मौसम में ही डॉलर चना की खेती होती है। लेकिन ध्यान रखें की बहुत लंबा पाला ना पड़े। पाले से फसल को नुकसान होता है। पाला हर फसल के लिए नुकसानदायक ही होता है। गर्मी भी डॉलर चना की खेती के लिए अच्छी नहीं होती।
- डॉलर चना के बीज के अंकुरण के लिए 20 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान अच्छा होता है। अधिक सर्दी पड़ रही है तो 10 डिग्री के आसपास का तापमान भी ठीक है और पकने के समय 25 से 30 डिग्री के बीच का तापमान हो तो बेहतर होता है।
- डॉलर चना की खेती भुरभुरी मिट्टी में करनी चाहिए। जिसके लिए बढ़िया खेत की गहरी जुताई करना है, फिर कुछ समय के लिए खेत को खुला छोड़ देना चाहिए। खाद मिट्टी में अच्छे से मिलाने के लिए रोटावेटर चलाना चाहिए। इससे भी बड़े मिट्टी के ढेले टूट जाते हैं और पाटा के द्वारा मिट्टी को समतल बनाना चाहिए।
- बुवाई से पहले किसानों को बीजों का उपचार कर लेना चाहिए। जिससे पैदावार ज्यादा मिलती हैं। रोग बीमारी का खतरा भी कम होता है।
- बीज की बुवाई मशीनों के द्वारा भी कर सकते हैं। पंक्तियों में बीजों की बुवाई करनी चाहिए। दो पंक्तियों के बीच की दूरी 1 फीट और बीजों के बीच की दूरी 25 सेमी तक रख सकते हैं। बीजों की रोपाई 5 से 7 सेंटीमीटर गहरे गड्ढे में करें।
अधिक उत्पादन के लिए खाद
चना की खेती ऐसी होती है जिसमें अधिक खाद की जरूरत नहीं होती। चना के पौधे से ही नाइट्रोजन के आपूर्ति हो जाती है। जिससे मिट्टी खुद भी उपजाऊ होती है। लेकिन बुवाई से पहले खेतों में गोबर की खाद आप दे सकते हैं। वही जिनकी मिट्टी उपजाऊ नहीं है फिर भी वह अधिक उत्पादन लेना चाहते हैं और रासायनिक खाद का इस्तेमाल करते हैं तो रोपाई करने से पहले ही 50 किलो मात्रा में डीएपी खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं। जब वह खेत तैयार कर रहे हैं उस समय डालकर जुताई कर दे। इसके बाद बुवाई करें।
लेकिन अगर आपके खेत की मिट्टी पहले से उपजाऊ है तो गोबर खाद बस का इस्तेमाल करके भी आप बढ़िया उपज ले सकते हैं। जिसमें 10 से 12 गाडी गोबर की पुरानी सड़ी खाद डालकर भी अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।
डॉलर चना की फसल की सिंचाई
बढ़िया फसल लेने के लिए किसानों को समय पर सिंचाई करना चाहिए। जिसमें चने की खेती के बात करें तो देसी चने की खेती में बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है। लेकिन डॉलर चना की खेती करें तो थोड़ा पानी का ध्यान रखना चाहिए। जिसमें किसानों को पौधे की रोपाई के करीब 50 दिन बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए। उसके बाद जब आपको दिखाई दे की पौधे मैं लगी फलियां में दाने बन रहे हैं तब एक बार सिंचाई कर दीजिए।
अगर बारिश हो रही है तो सिंचाई नहीं करनी है। जब आपके पौधे में फूल बन रहे हैं उस समय बिल्कुल सिंचाई नहीं करें। इससे उत्पादन घट जाता है। जब दाने पक रहे हैं उस समय हल्की सिंचाई करें, बहुत ज्यादा नहीं। हल्की सिंचाई से फायदा होता है। इस तरह की खेती में आपको सिंचाई कम करनी है लेकिन समय पर करनी है।
डॉलर चना की उन्नत किस्में
- हरियाणा काबुली न. 1
- श्वेता
- मेक्सीकन बोल्ड
- चमत्कार
- काक 2
- एच. के. न. 2
- जे.जी.के 2
- जे.जी.के 1
- एस आर 10
- शुभ्रा
- पूसा 1003 आदि।
इन किस्म में हरियाणा काबुली न. 1 एक ऐसी किस्म है जो 25 से 30 क्विंटल एक हेक्टेयर में उत्पादन देती है। इसकी खेती में लगने वाला समय 110 से 130 दिन है। इसके दाने बड़े होते हैं। रंग गुलाबी सफेद देखने को मिलता है। इस वैरायटी की खेती बारानी भूमि में ना करें। इसके अलावा अन्य किसी भी तरह की मिट्टी में कर सकते हैं और बढ़िया फायदा होगा।
खेती में लगने वाला समय और कटाई
डॉलर चना की खेती में लगने वाले समय की बात कर तो किसान जिस वैरायटी का चयन करते हैं उसके अनुसार उन्हें समय लगता है। कुछ वैरायटी 100 से 110 दिन के बीच में तैयार हो जाती है। जबकि कुछ को 130 से 140 दिन का समय लगता है। यानी कि करीबन 100 से 140 दिन में हर वैरायटी तैयार हो जाती है। जिसके बाद कटाई की बात करें तो जब उनकी फसल का रंग हल्का पीला दिखाई देने लगता है, फलियां में पड़ा दाना कठोर हो जाता है, नमी की मात्रा रहती है, तभी जड़ के पास से किसान इसकी कटाई कर लेते हैं।
धूप दिखाकर फिर फसल को सुखा लेते हैं। बढ़िया से सूखने के बाद थ्रेसर से अनाज अलग कर लेते हैं। जिनके पास थ्रेसर के लिए पैसे नहीं होते वह लोग हाथों से ही पीट-पीट कर दाने अलग करती हैं।
डॉलर चना की खेती में उत्पादन
डॉलर चना की खेती भी रबी की मुख्य फसल मानी जाती है। जिसमें किसानों को मिलने वाले उत्पादन की बात करें तो यह भी वैरायटी पर निर्भर करता है। औसतन बात करें तो 20 क्विंटल तक उपज मिल सकती है। लेकिन अगर जलवायु बढ़िया रहे मौसम किसानों पर मेहरबान रहा तो और अच्छा उत्पादन मिल जाता है।
डॉलर चना के भाव
डॉलर चना की खेती में किसानों को मुनाफा है। इस समय इसकी कीमत की बात करें तो मध्य प्रदेश के मंडियों में डालर चना के भाव 7000 से 13500 किलो के हिसाब से जा रहे हैं। वहीं देसी चना की बात करें तो 3300 से 6400 किलो के हिसाब से जा रहे हैं। इस तरह आप देख सकते हैं डॉलर चना की खेती में किसानों को ज्यादा फायदा हो रहा है। जबकि देसी चना की कीमत उससे आधी है।