चना की खेती में है मुनाफा, अधिक पैदावार के लिए करें ये काम, जानें चना की खेती के बारें पूरी जानकारी

चना की खेती में है मुनाफा, अधिक पैदावार के लिए करें ये काम, जानें चना की खेती के बारें पूरी जानकारी।

चना की खेती में है मुनाफा

रवी सीजन में चना की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा मानी जाती है। बड़े पैमाने पर हमारे देश में आज भी चना की खेती किसान कर रहे हैं और यह फसल एक तरह से पैसा डबल करती है। इसमें दो गुना मुनाफा किसानों को होता है। लागत से दो गुना, तीन गुना किसान कमाई कर सकते हैं। अगर बढ़िया तरीके से खेती करें तब।

चना सेहत के लिए भी बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होता है, प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। इसकी डिमांड धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही है। इसीलिए आज हम इस लेख के जरिए जानेंगे कि अगर किसान चना की खेती कर रहे हैं तो किन बातों का ध्यान रखें, खाद कैसे डालें, लागत कितनी आएगी जिससे अच्छा उत्पादन उन्हें मिले।

चना की उन्नत किस्म

नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार चना की कुछ उन्नत किस्म के बारे में जानिए।

  • दफ्तरी 21 चना
  • फूले विक्रम चना
  • JG 130 चना किस्म
  • पूसा मानव चना
  • RVG 202 चना
  • बिरसा चना
  • पूषा 3043 .

आप अपने क्षेत्र और सिंचाई की सुविधा के अनुसार बीज का चयन करें।

चना के लिए खाद

चना की खेती के लिए खाद की बात कर तो शुरुआत में ही बढ़िया बेसल डोज देना पड़ता है। जिससे अच्छा उत्पादन मिलता है। बार-बार उसे खाद देने की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन यह हम आपके खेत की मिट्टी पर भी निर्भर करता है। मिट्टी उपजाऊ होगी तो बेसल डोज से काम हो जाएगा। अगर फसल में बीमारी का खतरा ज्यादा आता है तो उस हिसाब से भी खाद बाद में दी जाती है। इसके अलावा जैसा पौधे का विकास रहता है उस हिसाब से भी खाद दी जाती है। लेकिन अगर पौधे का विकास बढ़िया हो रहा है तो सिर्फ बेसल डोज से ही अच्छा उत्पादन मिल जाता है।

जिसमें गोबर की खाद तो किसान देते ही है, लेकिन इसके अलावा रासायनिक खाद के बाद करें तो एक एकड़ के हिसाब से 50 किलो DAP, MOP 30 किलो 60% वाली और बेंटोनाइट 6 किग्रा दानेदार वाला, सागरिका 10 किलोग्राम सीवीड फर्टिलाइजर UPL साफ 500 ग्राम। यह सारी चीज़ बढ़िया से मिलाकर बुवाई के समय देना है। इससे अच्छी पैदावार मिलती है।

बीज उपचार

बीज उपचार बहुत जरूरी है। बुवाई से बीजों का उपचार करने से आने वाली कई समस्याएं दूर हो जाती है। जैसे की उखठा रोग नहीं लगेगा। फसल में कीड़ों की समस्या नहीं आएगी। यानि रोग कीट से फसल बचेगी। बीज में फंगस आदि नहीं लगेंगे। जिसके लिए करबेंडाजिम दवा का उपयोग करें। जिसमें 20 ग्राम दवा एक किलो बीज के हिसाब से इस्तेमाल की जाती है। आजकल कई कंपनियों की दवा मिलती है, बीज उपचार के लिए।

चना की बुवाई

चने की बुवाई भी सही तरीके से करनी चाहिए। इससे भी पैदावार पर असर पड़ता है तो नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार चने के उपज ज्यादा लेने के लिए किस तरह से बुवाई करें यह जानिए।

  • चना की बुवाई करने से पहले खेत की बढ़िया से जुताई करें। मिट्टी को भुरभुरा बनाए।
  • उसके बाद खाद का बेसल डोज दें। इसके बारे में हमने ऊपर आपको जानकारी दी है और इसके साथ बुवाई करें।
  • जिसमें बुवाई करते समय दो लाइन के बीच की दूरी 30 सेंटीमीटर रखे।
  • दो पौधे के बीच की दूरी 10 सेमी रखें।
  • इसके अलावा गहराई का भी ध्यान रखें।
  • गहराई असिंचित क्षेत्र में 7 से 8 सेंटीमीटर रखी जाती है।
  • बीज की बुवाई से पहले बीज का उपचार जरूर करें। इससे रोग आदि की समस्या कम आती है। उत्पादन अधिक मिलता है।

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खरतपतवार की समस्या से ऐसे पाएं छुटकारा

चना की खेती में भी खरपतवार/अनावश्यक घास की समस्या आती है। जिससे निपटने के लिए पहले ही किसानों को तैयारी कर लेनी चाहिए। जिसमें एक्सपर्ट का कहना है कि खरपतवार नियंत्रण के लिए फंगीशाइड का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह किसान जब पोटाश और डीएपी डालते है तो उसके साथ ही मिलाकर बुआई से पहले खेत में छिड़के। जिसके लिएसिर्फ 1 लीटर पानी में 5 एमएल दवा मिलाना रहता है। अगर यह काम नहीं किया है तो फसल तैयार होने पर जब खरपतवार दिखे तब मजदूरों से निकलवायें।

चने की खेती में सिंचाई

वह किसान जिनके यहां पानी के समस्या है, वह भी चने की खेती कर सकते हैं, इसे बहुत अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन उसके लिए ऐसी वैरायटी का भी चयन करना चाहिए। जिसमें सामान्य तौर पर चने की खेती में सिंचाई की बात कर तो दूसरी सिंचाई पहले सिंचाई के 55 दिन बाद की जाती है और तीसरी सिंचाई करीब 100 दिन बाद की जाती है। इसके अलावा आपकी वैरायटी कितने दिन में तैयार होती है उसके अनुसार भी सिंचाई करें। कुछ वेरायटी 90 दिन में तो कुछ 130-135 दिन में तैयार होती है।

कीटों की समस्या ऐसे करें दूर

अगर आपके चने की फसल में कीटों की समस्या हर साल आती है तो इसके भी कुछ उपाय है। जिसमें कृषि विशेषज्ञ बताते हैं की पहली सिंचाई बिजाई के करीब 55 दिन बाद और दूसरी सिंचाई 100 दिन बाद करें। इससे भी कीटों पर फर्क पड़ता है। अगर सिंचाई करना जरूरी है तो 50-60 दिन बाद करें। इसके अलावा कहते हैं सुंडी का प्रकोप है तो हाथों की मदद से निकालकर उन्हें खेत से बाहर करें।

अगर शुरुआत में ही कीटों की समस्या आ रही है तो एचएनपीवी या फिर नीम का अर्क 50 ग्राम 1 लीटर पानी में मिलाकर डालें। हैलीकोवरपा आर्मीगेरा फीरोमॉन कार्ड 10-12, 1 हेक्टेयर के हिसाब से भी डाल सकते हैं। यह भी कारगर है। लेकिन पहले अपने क्षेत्र के कृषि एक्सपर्ट से सम्पर्क करें।

चना की खेती में लागत और कमाई

चना की खेती में लागत से दोगुना मुनाफा होता है। जिसमें एक एकड़ में खेती करने पर करीब 20 हजार की लागत आती है। लेकिन उत्पादन अगर 10 कुंटल है तो कमाई 50 हजार रु तक होती है। जिसमें उत्पादन अगर बढ़ गया तो अधिक कमाई हो सकती है। जिसके लिए सभी चीजों का ध्यान रखना होगा। बेसल डोज सही देना होगा। इसके आलावा फसल का समय-समय पर निरिक्षण करें ताकि कोई समस्या बड़ी हो उससे पहले आप निवारण कर सके।

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नमस्ते, मैं निकिता सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रही हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी तरो ताजा खबरें बताउंगी। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद