एक किसान ने कृषि वैज्ञानिकों की सहायता से प्राकृतिक खेती शुरू की जिसके बाद उन्होंने सबको हैरान कर दिया। इस किसान ने अपनी कड़ी मेहनत और जी तोड़ लगन से खेती करके अपना मुनाफा 8 साल में 8 गुना ज्यादा बढ़ा लिया है। किसान की कड़ी मेहनत का फल है कि आज आधुनिक तकनीकी की खेती से 20 परिवारों को प्रत्यक्ष और 50 परिवारों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है। आइए इस किसान की सफलता के बारे में विस्तार से जानते है।
किसान मनोज शर्मा
फरीदपुर के भगवानपुर कुंदन के निवासी किशन मनोज शर्मा ने उत्पादन प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए 2014 में प्राकृतिक खेती शुरू की जोकि आज 50 एकड़ जमीन पर की जाती है। बता दे इन्होंने 2014 में औषधीय सुगंधित पौधों की खेती शुरू की थी उनके नए-नए प्रयोग से ज्यादा आय मिलने लगी जिससे कि उनकी आय कई गुना ज्यादा बढ़ गई। जो साल 2014 में 1 एकड़ में खेती इनको ₹80000 की बचत देती थी वही आज कई किसानों को जोड़कर इन्होंने लगभग 20 एकड़ पर खेती करके इस खेती से 30 लाख रुपए की बचत सालाना की है।
नई तकनीकियों से लागत में आई कमी
किसान ने कई तरह से नई-नई तकनीकियों का इस्तेमाल किया। प्रकृति को आधारित खेती बीते 2 सालों से कृषि विभाग के मदद से आज 50 एकड़ जमीन पर वह खेती करते हैं। भले ही इनको खेती से ज्यादा वृद्धि ना हुई हो लेकिन हवा, पानी, मिट्टी, पशु तथा मानव के स्वास्थ्य को लाभदायक कृषि उत्पादों से दवाइयां का असर जरूर कम हो चुका है। इतना ही नहीं इनकी लागत भी बहुत कम हो चुकी है। इस 50 एकड़ की खेती से प्राकृतिक उत्पाद की पैकेजिंग और डोर टू डोर आसानी से उपलब्ध करवा लेते हैं जिससे दोगुनी से ज्यादा बचत हो जाती है।
सालाना 2 करोड़ का कारोबार करने का लक्ष्य
कई फसलों की खेती करके जैविक गन्ने का उत्पादन और इसमें बाकी फसलों की खेती से आय और उत्पादन दोनों में वृद्धि कर ली है। साथ ही गन्ने से बना जैविक गुड़, खांड इत्यादि की पैकेजिंग करके बाजार में अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। इतना ही नहीं मुख्यतः दूध और उसके उत्पाद, खाद्यान्न सब्जियां मसाले खांडसारी, दाल सहित रसोई में इस्तेमाल करने वाली कई चीजों की उपलब्धता करवा के सालाना लगभग 2 करोड़ रूपए का कारोबार करने का टारगेट रखा हुआ है।
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