लहसुन के किसानों और ग्राहकों को मिली चैन की सांस, सुप्रीप कोर्ट ने लहसुन को फल-सब्जी के जैसे बेचने पर लगाया रोक, जानें आढ़त लेने वालों की कैसे हुई छुट्टी

लहसुन को फल-सब्जी के जैसे बेचने पर लगाया रोक। करोड़ों रु बेवजह खर्च नहीं होंगे। जानिये लहसुन के किसानों और ग्राहकों के हित में सुप्रीम कोर्ट का फैसला-

लहसुन के भाव होंगे कम

लहसुन के बढ़ते भाव पर लगेगा लगाम। किसानों के साथ ग्राहकों को भी होगा फायदा। मध्य प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट ने लहसुन पर आढ़त को गलत करार दिया है। जिसमें जस्टिस संजय कुमार और मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने मिलकर फैसला लिया है कि तत्काल प्रभाव से लहसुन पर आढ़त को खत्म किया जाए। इस तरह अब आढ़त की आड़ में प्रतिदिन करीब दो करोड़ रुपए का खेल बंद हो जाएगा। जिससे किसानों का खर्चा और ग्राहकों को महंगाई से राहत मिलेगी।

लहसुन पर आढ़त

लहसुन के भाव कुछ हद तक बढ़ने का एक कारन लहसुन की आढ़त भी थी। बता दे कि प्रदेश के राज्य कृषि विपणन बोर्ड के मंडी महाप्रबंधक 2015 के आदेश के अनुसार लहसुन को फल और सब्जी के साथ रखी जायेगी जिससे नीलामी भी हुई थी, साथ ही आढ़त भी लिया जा रहा था। तभी फिर व्यापारी और किसान मुकेश सोमानी ने प्रमुख सचिव कृषि के समक्ष चैलेंज प्रस्तुत किया, फिर तत्कालीन कृषि प्रमुख सचिव राजेश राजौरा ने इसे गलत करार दिया। फिर क्या आलू-प्याज व्यापारियों ने हाईकोर्ट में इसके खिलाफ अपील कर दी। इस तरह अंत में किसानों के हित में ही फैसला लिया गया। पुराने नियम को खत्म किया गया।

लहसुन पर आढ़त अब नहीं ली जाएगी। बताया जाता है कि प्रदेश के करीब पांच जिलों में आढ़त ली जा रही थी। जिसमें 254 मंडियों में से भोपाल, इंदौर, बदनावर, उज्जैन, शाजापुर आदि के नाम आते है। लेकिन अब इसे गैरकानूनी माना गया है। जिससे अब यह नहीं होगा।

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आढ़त के कारण 5 फीसदी कीमत अधिक

लहसुन पर आढ़त के चलते कीमत में बड़ा बदलाव हो जाता है। जिससे किसानों को और ग्राहकों को इसका बोझ उठाना पड़ता था। बताया जाता है कि आढ़त के वजह से करीब 5 फीसदी कीमत खेरची व्यापारी से थोक व्यापारी लिया करते थे, जिससे लागत में इजाफा होता था। फिर क्या खेरची व्यापारी जनता को 5 फीसदी ज्यादा लागत जोड़कर लहसुन बेंचते थे। इस तरह अंत में ग्राहको को भरना पड़ता था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी है।

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