अजीत चौधरी से सीखे सपनों को हकीकत में बदलना, 2 हजार रु से खड़ा किया 15 करोड़ का बिज़नेस, जानें इंडिया में नंबर वन बनने का रहस्य  

जब किसी काम को करना शुरू करो तो दिन रात मत देखो, लगातार अपने काम को करते रहो, तभी सफलता मिलेगी। ऐसा मानना है आनंदी ग्रीन्स ( Anandi Greens ) के संस्थापक अजीत चौधरी ( Ajit choudhary ) का। जिन्होंने एक छोटे से कमरे से शुरू किये अपने बिज़नेस को अपनी मेहनत और लगन के बलबूते आज इंडिया में अपनी फील्ड का नंबर वन बिज़नेस बना दिया। आइये आपको बताते हैं अजीत की बहुत ही प्रेरणादायक यात्रा के बारे में:

इंदौर में हुआ जन्म और माँ से मिली सीख 

अजीत चौधरी जी का जन्म 2 जुलाई 1982 को इंदौर में हुआ, अभी अजीत की उम्र 43 साल है। इनकी शिक्षा विज्ञान स्नातक हुई। अजीत को बचपन से ही गार्डनिंग का शौक था, ये शौक उन्हें उनकी माँ से मिला था और हो भी क्यों ना, एक कृषि परिवार से जो थे अजीत। माँ उन्हें अलग-अलग बीज लाकर देती और वह इन्हें गमलों में लगा देते थे। पिता की सरकारी नौकरी थी, इसीलिए सरकारी क्वार्टर्स मिले हुए थे और इन्हीं क्वार्टर्स की छत से शुरू हुआ अजीत की गार्डनिंग का सिलसिला। 

सभी चुनौतियों से लड़ना जानते हैं अजीत  

आनंदी ग्रीन्स के पहले अजीत अपनी पत्नी के साथ मिलकर वैलनेस सेंटर्स चलाते थे। लेकिन, कोविड आने के बाद उन्हें अपने सारे वैलनेस सेंटर्स को बंद करना पड़ा और सभी समस्याओं से लड़ते हुए अजीत ने आनंदी ग्रीन्स की शुरुआत की। आनंदी ग्रीन्स की शुरुआत में भी कई समस्याएं आयी लेकिन, अजीत खड़े रहे और सभी समस्याओं को मुँह तोड़ जवाब देते रहे और अब वे अमेज़न पर 4.3 रेटिंग्स के साथ भारत में नंबर वन है। 

कुछ परेशानियों को मिटाने शुरू किया था ग्रो बैग्स का बिज़नेस 

अजीत मानते हैं कि जो भी सब्जियां आजकल बाजार में मिलती हैं वह केमिकल्स की मदद से उगाई जाती हैं और हमारे लिए एक जहर की तरह काम करती हैं। इसी समस्या को मिटाने के लिए अजीत ने खुद की छत पर जैविक खेती के माध्यम से सब्जियों को उगाना शुरू किया और गमलों के भारीपन और कम प्रोडक्शन के करण ही अजीत को ग्रो बैग्स बनाने का आईडिया आया और इस आईडिया को ही उन्होंने बिज़नेस में तब्दील कर दिया। 

महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण सरंक्षण की ओर भी है झुकाव 

अजीत को बचपन से ही जानवरों और पर्यावरण के प्रति लगाव है। इसलिए भी उनकी रूचि जैविक खेती की तरफ जागी और उन्होंने ये रूचि आज भारत के कई लोगों के दिल में भी जगा दी है। इसके साथ-साथ आनंदी ग्रीन्स के सभी खाद भी पूरी तरह से प्राकृतिक होते हैं। अर्बन टैरेस फार्मिंग और जैविक खेती पर्यावरण के लिए बहुत फायदेमंद होती है।  

इसके अलावा उनका मानना है कि हमें महिलाओं के लिए भी कुछ कदम जरूर उठाने चाहिए और अजीत महिला सशक्तिकरण की ओर अग्रसर भी हैं, इसका अंदाजा हम इस बात से लगा सकते हैं कि आनंदी ग्रीन्स के कर्मचारियों में 80 प्रतिशत महिलाएं ही काम करती हैं। 

अपने काम के प्रति पागलपन होना जरुरी मानते हैं अजीत  

अजीत ने आनंदी ग्रीन्स की शुरुआत 2018 में ग्रो बैग्स से की लेकिन, आज आनंदी ग्रीन्स इंडिया में नंबर वन ग्रो बैग्स सेलर है और यह सिर्फ अजीत की मेहनत और अपने काम को लेकर पागलपन के करण ही हो पाया। उन्होंने बताया कि कोविड की शुरुआत में बहुत सारे कॉम्पिटिटर्स मार्केट में आये लेकिन आनंदी ग्रीन्स के अलावा कोई नहीं टिक पाया। अजीत अपने बिज़नेस को नंबर वन बनाने के लिए क्या जरुरी है वह सब हमेशा पढ़ते रहते हैं और बिना दिन रात देखे उसके लिए काम करते रहते हैं। 

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