बकरी पालकों के लिए शानदार योजना राज्य सरकार लेकर आई है। जिससे ₹20000 बकरा खरीदने के लिए, ₹3000 बकरी का पालन करने के लिए मिलेंगे।
सिरोही बकरी का पालन
सिरोही बकरी पालन के लिए राज्य सरकार प्रोत्साहन दे रही है। यह शानदार नस्ल है। इसके पालन में बकरी पालकों को फायदा है। राज्य सरकार चाहती है कि सिरोही नस्ल के बकरियों के अनुवांशिक में सुधार हो और इससे पशुपालकों की आमदनी में वृद्धि हो। जिसके लिए योजना के तहत बकरी पालन के लिए प्रति बकरी पर ₹3000 दिए जाएंगे और ₹5000 प्रति नर बकरे के लिए प्रोत्साहन राशि मिलेगी। वहीं पशुपालक अगर उच्च गुणवत्ता वाला बकरा विभाग से खरीद देते हैं तो उन्हें 20000 रुपए प्रोत्साहन राशि अलग से मिलती है।
सिरोही बकरी दूध उत्पादन के लिए बढ़िया होती है। इसका दूध पोषण से भरा हुआ होता है। प्रतिदिन एक से दो लीटर दूध देने की क्षमता रखती है। इसका मीट पसंद किया जाता है। 5 महीने में बच्चों को जन्म देती है। एक से डेढ़ साल के बीच दो बार बच्चे पैदा कर सकती है। जुड़वा बच्चे भी सिरोही नस्ल की बकरियां दे सकती हैं। 1 साल में एक बकरी के चार बच्चे पैदा हो जाते हैं। बच्चों का वजन 2 किलो तक होता है। सिरोही बकरी पहली बार में करीब 20 महीने में बच्चे देने लगती है।
कौन बकरी पालक होंगे पात्र
अगर आप बकरी पालन करते हैं तो आपके लिए यह शानदार योजना है, अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए। लेकिन इसका लाभ राजस्थान के कुछ जिलों के पशुपालकों को मिलेगा। जी हां आपको बता दे की राजस्थान की यह योजना है सिरोही नस्ल की बकरी पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसमें अजमेर, चित्तौड़गढ़, नागौर, जयपुर, सिरोही, राजसमंद, चूरु, कुचामन सिटी आदि जिलों के बकरी पालको फायदा मिलेगा। जिसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, महिला, स्वयं सहायता समूह और कमजोर वर्ग के लोगों को प्राथमिकता इसमें मिलेगी। उन्हें पहले फायदा दिया जाएगा।

आवेदन कहां करें
इस योजना का लाभ लेने के लिए बकरी पालक अपने पास के पशु चिकित्सा संस्थान या पशुपालन विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। आवेदन करने के लिए आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, बकरियों के स्वास्थ्य का प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र आदि दस्तावेज जमा करने होंगे। इस योजना के तहत शर्त ये रखी गई है कि बकरी पालन के लिए प्रोत्साहन राशि तभी मिलेगी जब प्राकृतिक गर्भाधान विभाग द्वारा बकरी पालन कराएंगे और 9 महीने तक नर बच्चे का पालन करेंगे। उसकी बिक्री नहीं करेंगे।
इन सब चीजों का बाकायदा एक अनुबंध पत्र बनाया जाएगा और उस पर बकरी पालक का हस्ताक्षर होगा। ताकि वह योजना की शर्तों का पालन करें।

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