खाली पड़े तालाब में किसान भाई लगा दे यह फसल चंद दिनों में बन जाएंगे धनवान, कम खर्च में होगा लाखो का मुनाफा, जानिए इस खेती के बारे में विस्तार से, जानिए इस खेती के बारे में विस्तार।
खाली पड़े तालाब में किसान भाई लगा दे यह फसल
सिघाड़े को पानीफल भी कहते है। जिनमें उन्हें ज्यादा से ज्यादा मुनाफा मिल सके, ऐसी ही एक फसल है जिसमे कम खर्च के साथ लाखो का मुनाफा मिलेगा। सिघाड़े हर जगह बाजारों में उपलब्ध रहता है। साथ ही बाजार में भी इसकी खूब मांग होती है। सिंघाड़े को तैयार करने में 5 से 6 महीने का समय लगता है।सिघाड़े की हरी, लाल, बैगनी रंग की किस्म होती है। अलग से पानी का खर्च नहीं होता है।
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सिघाड़े की खेती
इसकी बुवाई जून जुलाई में के समय में होती है। इसकी खेती पानी वाली जगह पे होती है । मगर जल उत्पाद जल भराव के लिए गड्ढा खोदकर भी किया जाता है। खेती करने के सिंघाड़े को तैयार करने में 5 से 6 महीने का समय लगता है। सिंघाड़ा नवंबर दिसंबर के सीजन में आना शुरू होता है। ये एक जलीय फल है। तालाब और झील खेती होती है।
सिघाड़े के फायदे
सिघाड़े के पकने के बाद इसे तोड़कर धूप में 15 दिन तक अच्छे से सुखाया जाता है। सिघाड़े को कुट कर गूदी निकाली जाती है। सिघाड़े की गूदी को निकाल कर धूप में रखा जाता है। जब ये सूखा जाये तो कुटे फिर ग्राइडर में डाला केपाउडर बना ले। उनका प्रतिवर्ष 15 लाख रुपये तक की आमदनी होगी। सिंघाड़े 2 वर्ष की खेती होती है। सिंघाड़े का उपयोग समान रूप से खाने के साथ ही फलहार एवं व्रत में उपयोग होने वाले आटे के रूप में किया जाता है। सिंघाड़ा थोड़ा मीठा होता है और स्वादिष्ट भी होता है।
सिंघाड़े की कीमत
सिंघाड़ा बाजार में अच्छी खासी मांग होती है। सिंघाड़े की गूदी तैयार होती है। जिसकी कीमत करीब एक लाख रुपये होती है। सिंघाड़े की कीमत बेहतर मुनाफे में होती है। सिंघाड़ा भिन्न-भिन्न रूप से होते हैं। सिंघाड़े को कुछ दिन धूप में सूखने के उपरांत इसके अंदर इसके फल पीसकर आता निर्मित होते हैं इसको लोग उपवास के दौरान प्रयोग करते हैं शीतकालीन के दौरान सिंघाड़े की मांग आसमान छूने लगती है। व्यापारी कोसीधेहाथो में में विक्रय करने पर मुनाफा कमा सकते हैं। कच्चा सिंघाड़ा 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से जाता है।