खेत की मिट्टी को उपजाऊ बनाने वाली खाद का अविष्कार करके दो रिटायर्ड ऑफिसर्स पूसा मेला में छा गए हैं-
पूसा कृषि विज्ञान मेला 2025
दिल्ली में पूसा कृषि मेला का आयोजन हुआ। जिसमें किसानों के साथ-साथ कई कृषि विशेषज्ञ भी मौजूद थे और खेती-किसानी के क्षेत्र में अपना नाम बनाने तथा किसानों की मदद करने के वाले कई महान लोग उपस्थित रहे। जिसमें हम बात कर रहे हैं मिट्टी को उपजाऊ बनाने वाले ऑर्गेनिक खाद बनाने वालों की, जो की सस्ती खाद से किसानों के खेत की मिट्टी को उपजाऊ बना रहे हैं और उनकी तारीफ करते देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नहीं थक रहे हैं।
आपको बता दे की मन की बात में प्रधानमंत्री ने इन दो लोगों की चर्चा की थी। इनका नाम देवराज सिंह और रमेश चंदर जो की बचपन से दोस्त हैं, और एक साथ वह सरकारी नौकरी कर रहे थे और साथ में ही सेवानिवृत्त हो गए हैं। यानी कि एक ही समय पर दोनों लोग सेवानिवृत्त हुए और अब जैविक खाद बनाकर किसानों की मदद कर रहे हैं। यह सस्ते में किसानों को उपलब्ध होती है, और खेत की मिट्टी को उपजाऊ बना देती है। जिसके बाद किसानों को रासायनिक खाद पर खर्च नहीं करना पड़ेगा।
जैविक खाद बनाने में काम आने वाली चीजे
रमेश चंदर और देवराज सिंह पुलिस और सेना में काम करते थे। लेकिन अब जैविक खाद बनाते हैं उन्होंने खाद बनाने का एक ऐसा तरीका अपनाया है जिससे 365 दिन के बजाय सिर्फ 10 दिन में खाद तैयार हो जाती है। जी हां दरअसल, वह आईआईटी कानपुर की टेक्नोलॉजी की मदद से खाद बनाते हैं। इस खाद को बनाने के लिए वह गोबर, बेसन, गुड़ आदि का इस्तेमाल करते हैं।
इन सब चीजों को एक उचित मात्रा में लेकर, टैंक में डालते हैं। जिसमें दो पंखे और दो बल्ब लगे रहते हैं। खाद बनाने की है अनोखी तकनीक 10 दिन में खाद तैयार कर देती है और फिर किसान इसका खेतों में इस्तेमाल करते हैं तो कुछ निश्चित समय के बाद खेत की मिट्टी उपजाऊ हो जाती है। जिसके बाद कीटनाशक और पेस्टिसाइड आदि की जरूरत ही नहीं पड़ती है।

₹11 की खाद
जी हां किसानों को यह जैविक खाद ₹11 में मिल जाएगी। ₹11 किलो में इस खाद को खरीद कर इस्तेमाल कर सकते हैं। वह लोग जो बागवानी करते हैं उन्हें भी यह खाद इस्तेमाल करके फायदा होगा। इस खाद से मिट्टी उपजाऊ होगी, जिससे सेहत पर भी किसी तरह का प्रभाव नहीं होगा, ना ही पर्यावरण प्रदूषण होगा। यह एक जैविक खाद है। जिससे उत्पादन भी अधिक मिलेगा।
किसान से खाद खरीदने के लिए सोनीपत के मंडोर गांव में संपर्क कर सकते हैं, वहां पर उनका प्लांट है। आरएसवीसी भू-अमृत नाम से वह प्रोडक्ट तैयार करते हैं। यह मिट्टी परीक्षण में भी किसानों की मदद करते हैं, तथा फसलों में लगने वाले रोगों को 15 दिनों पहले पता करने की भी जानकारी देते हैं। दरअसल, वह एक ऐसा परीक्षण करते है जिससे फसल में लगने वाले रोगो को पहले ही जान सकते हैं।