इस लेख में हम जानेंगे कि राजमा की खेती में फायदा क्या है और राजमा की खेती कैसे की जाती है-
राजमा की खेती
राजमा की खेती में किसानों को कई फायदे हैं जैसे कि यह सेहत के लिए फायदेमंद, इसकी बाजार में हमेशा मांग रहती है, जिसकी वजह से किसानों को अच्छी कीमत भी मिल जाती है, राजमा से कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं, राजमा की खेती करने पर किसानों को एक फायदा यह भी होता है कि खेत उपजाऊ होता है। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। राजमा एक दलहनी फसल है। राजमा की कीमत किसानों को 10,000 से लेकर 18,000 क्विंटल तक मिल जाती है। चलिए अब जानते हैं राजमा की खेती कैसे करें।
राजमा की खेती कैसे करें
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार राजमा की खेती के बारे में जानिए-
- राजमा की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत तैयार करें। बढ़िया से जुताई करें। खेत से खरपतवार हटाए। राजमा की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है।
- राजमा की बुवाई करते समय दो लाइन के बीच की दूरी 10 इंच और दो पौधों के बीच की दूरी 4 से 5 इंच रखें।
- बुवाई के समय खेत की मिट्टी में उपयुक्त नमी होनी चाहिए।
- राजमा की बुवाई के लिए बताया जाता है कि 35 से 40 किलो बीज की जरूरत होती है। एक हेक्टेयर में बताते हैं कि 75 से 100 किलो आवश्यकता पड़ती है।
- राजमा की खेती में 5 से 6 बार सिंचाई की जाती है।
- पहली सिंचाई के बाद एक बीघा में 5 किलो और एक एकड़ में करीब 25 किलो यूरिया डाला जाता है। जिससे नाइट्रोजन की कमी पूरी होती है।
- राजमा की फसल करीब 120 दिन की है।
- राजमा का भंडारण ठंडी जगह पर करना चाहिए, जहां पर नमी न हो, बिल्कुल सूखी जगह और हवादार जगह हो।
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राजमा की उन्नत किस्में
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार राजमा की कुछ उन्नत किस्मों के बारे में जाने-
- पी.डी.आर 14 /उदय राजमा
- मालवीय 137
- उत्कर्ष
- मालवीय 15
- वीएल 63
- अंबर
- बी.एल. 63
- एच. पी.आर. 35
- एचयूआर-137 राजमा
- एचयूआर 15 आदि।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।