प्याज के कंद का आकार बड़ा करना चाहते हैं तो चलिए आपको बताते हैं फसल में कौन से पोषक तत्व देने हैं, साथ ही थ्रिप्स और झुलसा रोग से फसल को कैसे बचाएं-
प्याज के कंद का आकार
प्याज की खेती में किसान अच्छी कमाई कर लेते हैं। साल भर प्याज की डिमांड रहती है। प्याज लंबे समय तक स्टोर भी किसान कर लेते हैं। प्याज की कीमत, प्याज के आकार और उसकी गुणवत्ता पर भी निर्भर करती है। प्याज के आकर बड़े होंगे, गुणवत्ता अच्छी होगी, तो किसानों को कीमत भी तगड़ी मिलेगी। इसके लिए किसानों को कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। समय पर खाद, पानी, आदि देना पड़ता है। साथ ही रोग-बीमारी से भी फसल को बचाना पड़ता है। जिसमें इस लेख में प्याज के कंद का आकार बड़ा करने के लिए स्प्रे की जानकारी दी गई है।
150 लीटर पानी में यह मिलाकर स्प्रे
प्याज की फसल 60 से 70 दिन की हो गई है तो प्याज के एक कंद आने वाले 40-50 दिनों में बड़े होंगे। इसके लिए उसे पोषक तत्व देना है। पोषक तत्व देने के लिए स्प्रे कर सकते हैं। 700 ग्राम से 1 किलो एनपीके 05234 ले सकते हैं। इसे 150 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में स्प्रे कर सकते हैं। इसमें अन्य माइक्रो न्यूट्रिएंट भी मिला सकते हैं। जिससे कंद का आकार बढ़िया होगा। एनपीके 0-52-34 खाद बढ़िया है इसमें होने वाले फास्फोरस और पोटाश, प्याज की फसल में फूल और फल के विकास को बढ़ावा देते है साथ ही साथ जड़ प्रणाली को मजबूत करके, फसल को बीमारियों से बचाते है। जिससे फसल अच्छी होगी।
सिंचाई के साथ यह चीज
पानी के साथ 3 से 5 किलो एनपीके 0050 दे सकते हैं। इसमें पोटाश होता है जो फसलों के लिए बढ़िया होता है। इसे ड्रिप से भी दे सकते हैं और सीधा खेत में पानी बहा कर देते हैं तो भी पानी के साथ भी यह दे सकते हैं। इससे भी प्याज के साइज को बढ़ाने में मदद मिलेगी। क्योकि एनपीके 0050 में जो पोटेशियम सल्फेट हैं, उससे प्याज की गुणवत्ता, आकार बढ़िया होंगे और पैदावार अधिक होगी।

प्याज की फसल में थ्रिप्स और झुलसा रोग
प्याज की फसल में इस समय थ्रिप्स और झुलसा रोग का भी प्रकोप देखने को मिलता है। मुख्य तौर पर जिन किसानों ने रबी सीजन की प्याज लगाई है। उसमें यह अधिक देखने को मिलता है। थ्रिप्स रसचूसक कीट होते हैं जो की फसल का पोषण चूस लेते हैं और कमजोर कर देते हैं। जिससे कंद का आकार भी छोटा हो जाता है। झुलसा रोग रात के समय फसल के लिए खतरे का काम करता है।
अगर फसल में थ्रिप्स रोग है तो पत्तियां छोटी, सफेद या भूरे रंग के धब्बे वाली होगी। पतियों में पीलापन दिखाई देगा और वह सूखी हुई भी दिखाई देंगी। पत्तियां सिकुड़ी हुई दिखाई देंगी। जिससे कंद भी छोटा हो जाएगा। तो इसके लिए किसानों को समय पर समाधान करना चाहिए।
थ्रिप्स के लिए फिप्रोनिल 5% एससी युक्त एग्रोनिल-एक्स दे सकते है। यह 1.5 मिली प्रति लीटर पानी मिलाकर दिया जाता है। इसके आलावा अन्य भी विकल्प है इस कीट से फसल को बचाने के लिए। वही झुलसा रोग के लिए मेटालैक्सिल 8% + मैनकोज़ेब 64% WP युक्त मेटलग्रो का 2.5 ग्राम एक लीटर पानी में घोलकर छिड़का जाता है। इसके आलावा अन्य भी विकल्प है इस रोग से फसल को बचाने के लिए।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।