धान की फसल में कंडुआ रोग लगने पर धान की बालियों में लगे दाने काले हो जाते हैं, तो आइए आपको बताते हैं कि इस रोग से फसल को बचाने के लिए बुवाई से पहले क्या करें-
धान में लगने वाला कंडुआ रोग
धान की खेती का समय आ गया है, जिसमें हर किसान यही चाहेगा कि उसकी फसल अच्छी हो और कोई रोग न लगे, ऐसे में धान की फसल में कुछ किसानों को कंडुआ रोग से जूझना पड़ा, जिससे धान के बालों में काला पाउडर जम जाता है, धान के दाने काले हो जाते हैं, पहले बालों में गांठें बनती हैं और फिर यह पीला पाउडर बन जाता है और अंत में यह काला होकर किसान की फसल को खराब कर देता है। यह एक फफूंद जनित रोग है।
फसल को बचाने के लिए बीज को कवकनाशी से उपचारित करना होगा। साथ ही खरपतवार को निकालना होगा, फसल अवशेष को साफ करना होगा, तो आइए जानते हैं कि बीज को बुवाई से पहले क्या करें।

धान की बुवाई से पहले बीज में यह दवा डालें
किसानों को धान की बुआई से पहले बीज का उपचार करना चाहिए। फसल को कई तरह की बीमारियों से बचाने के लिए ऐसा करना चाहिए। बीज उपचार के लिए किसान थिरम या फिर कार्बेन्डाजिम दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे पानी में मिलाकर उसमें बीज भिगोए जाते हैं और फिर बुआई की जाती है।
मिट्टी का उपचार
जैसे बीज उपचार करते हैं, वैसे ही आपको बुआई से पहले मिट्टी का उपचार करना होगा। जिसके लिए आखिरी जुताई से पहले ट्राइकोडर्मा और बैसिलस बेसियाना को गोबर की खाद के साथ मिलाकर खेत में छिड़का जाता है। इसके लिए आपको सड़ी हुई पुरानी गोबर की खाद लेनी होगी। इससे मिट्टी उपजाऊ हो जाएगी और मिट्टी उपचारित भी हो जाएगी। फिर छिड़काव के बाद कल्टीवेटर से खेत की जुताई कर लें और फिर खेती करें। इससे धान के बीजों में कंडुआ रोग लगने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।