किसान अगर मजदूरों की समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो चलिए आपको एक हाईटेक मशीन की जानकारी देते हैं जो की एक साथ तीन से अधिक काम भी करेगी-
किसानों की मदद के लिए कृषि यंत्र
किसानों की मदद के लिए समय के साथ नए-नए कृषि यंत्रों का विकास किया जाता है। वैज्ञानिक किसानों के काम को आसान करने में जुटे हुए हैं। जिसमें हाल ही में भोपाल स्थित आईसीएआर-सीआईएई द्वारा एक नई हाईटेक मशीन विकसित की गई है, जो की किसानों के तीन से चार काम कर देगी, जो काम 29 मानव दिवस में होता है वह कम एक या दो दिन में किसान कर पाएंगे।
इससे मजदूरों की लागत कम हो जाएगी। बता दे की मशीन का नाम मल्च लेयर कम प्लांटर है और इसके बारे में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में जानकारी किसानों को दी है। चलिए आपको बताते हैं यह कौन-कौन से काम कैसे करती है।
खेती के तीन से अधिक काम करेगी एक मशीन
खेती के तरीके को बदलकर किसान पहले से अधिक उत्पादन का मेहनत में कम लागत में प्राप्त कर रहे हैं। जिसमें खेती के आधुनिक तरीकों के बाद करें तो किसान मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई विधि अपनाते हैं। लेकिन यह काम मुश्किल भरा होता है, मजदूर की जरूरत पड़ती है, लंबे समय तक काम चलता है। जिसमें पहले खेत में बेड बनाना पड़ता है, फिर मल्चिंग बिछानी पड़ती है, और ड्रिप भी लगाना पड़ता है। मजदूरों से यह काम मुश्किल होता है।
लेकिन किसान अगर मल्च लेयर कम प्लांटर मशीन से यह काम करते हैं तो वह खेत में बेड बना देगी, और ड्रिप भी लगा देगी, साथ थी प्लास्टिक मल्च भी बिछा देगी और बीज भी बो देगी, यानी तीन से चार काम एक मशीन कर रही है।
मशीन के बारे में अन्य जानकारी
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार मल्च लेयर कम प्लांटर मशीन के बारे में जाने-
- किसान भाई अगर इस मशीन की कार्य क्षमता की बात करें तो 0.2 हेक्टेयर प्रति घंटा है और कार्य कुशलता 74% है, जो 1.7 किमी/घंटा की गति और 1 मीटर कार्य चौड़ाई पर आधारित मानी जाती है। जिससे काम जल्दी पूरा होता है।
- इससे कतार से कतार की दूरी 0.5 से 0.9 मीटर तक रख सकते है और दो पौधों के बीच की दूरी 0.2 से 0.6 मीटर तक रख सकते है।
- इसके आलावा बता दे कि इस मशीन की कुल लागत 3,00,000 रुपये और संचालन लागत 1500 रुपये प्रति घंटा है. इसका पेबैक पीरियड 1.9 वर्ष (444 घंटे) और ब्रेक-ईवन पॉइंट 70 घंटे प्रति साल बताया जा रहा है।
- इसमें ड्रिप लेटरल-कम-प्लास्टिक मल्च लेयर मशीन की तुलना में 26 मानव-दिन/हेक्टेयर (89%) और 6600 रुपये/हेक्टेयर (43%) का खर्चा कम आता है। जिससे किसानों को फायदा है।