किसानों को मिलेगा फायदे का सौदा, हरड़ की खेती कर फकीरचंद बने अमीरचंद, जानिए हरड़ की खेती के बारे में।
हरड़ का पौधा
हरड़ के पौधे बड़े और लंबे होते हैं। इन पौधों से बहुत पैसा कमाया जा सकता है। हरड़ की खेती करना बहुत आसान है। यह हर जगह उगाया जाता है लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। हरड़ की खेती बहुत ज़्यादा गर्म जगहों पर नहीं की जाती है। हरड़ की खेती सामान्य जगहों पर की जाती है। हरड़ का पौधा अमरूद के पेड़ जैसा दिखता है। हरड़ को ‘हर्रे’ भी कहा जाता है।
हरड़ की खेती
हरड़ के फल लें और उसमें से बीज निकाल कर गोबर की खाद में डाल कर छोड़ दें 1 महीने तक छोड़ दें ताकि वह बिल्कुल मुलायम हो जाए। उसके बाद जब आप बीज खोलें तो उसमें से जो भी बीज निकले उसे पॉलीथिन मिट्टी में डाल दें और उस बीज के बीज को रोप दें। फिर उसमें से एक पौधा निकलेगा। उस पौधे को घर के आस-पास खेत की मेड़ पर कहीं भी लगाया जा सकता है।
हरड़ के पौधे की एक खासियत यह है कि इसकी पत्तियां पतझड़ के मौसम में गिरती हैं। इसकी खेती की एक अच्छी बात यह है कि आप दूसरी फसलें भी उगा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि अगर आप इसे अपने खेत में लगाते हैं तो यह आपकी सारी फसलें खराब कर देगा।
हरड़ पौधे की सिंचाई
हरड़ के पौधे ऐसी जगह लगाने चाहिए जहाँ पानी कम हो, वहाँ ये खेती की जा सकती है। जहाँ पानी कम हो, वहाँ ये खेती दो कारणों से की जाती है। एक तो हरड़ को बेचना और दूसरा उसके पत्तों को चारे के रूप में इस्तेमाल करना। पानी और खाद का झंझट खत्म।
हरड़ की कीमत
बाजार में इसकी भारी मांग है। हरड़ की खेती से 40 से 50 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है। फल की कीमत 5 हजार रुपये है। हरड़ की खेती से एक से डेढ़ लाख रुपये की कमाई की जाती है। हरड़ के फल को सुखाकर उसका भंडारण कर सकते हैं। स्टोर करने के बाद नहीं आप इसे आसानी से बेचा सकते है। अगर आप हरड़ के फसल को 2-3 साल बाद भी बेचते है तभी अच्छी कमाई की जा सकती है। किसान की आसानी स्कमई कर सकते है।
हरड़ किस-किस काम आता है
हरड़ के फल का प्रयोग कई तरह से किया जाता है जैसे – जूस, छोटी आयुर्वेदिक गोलियां बनाना, पाचक गोलियां बनाना, त्वचा के अंदर हुई टैनिंग के लिए इसके फल के रस का प्रयोग करना, मुरब्बा बनाना, जैम बनाना, चूर्ण बनाना, इन सभी चीजों को बनाने में हरड़ के फल का प्रयोग किया जाता है।
यह भी पढ़े- बटेर पक्षी ने खोली किसान की किस्मत, 300 अंडे देकर भर दी खाली झोली, जानिए बटेर पक्षी के पालन के बारे में