इस योजना से गेहूं किसानों को 82,200 रु का मिलेगा लाभ, जानिए क्या है PMFBY योजना

किसानों के लिए केंद्र सरकार की यह योजना बेहद लाभकारी है, मामूली सी रकम से किसानों को बड़ी रकम का फायदा होता है। चलिए आपको इस PMFBY के बारे में पूरी जानकारी देते हैं-

रबी फसलों की खेती

इस समय किसान रबी फसलों की खेती कर रहे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा किसान गेहूं की खेती करते हैं। गेहूं की खेती किसान लंबे समय से करते आ रहे हैं। लेकिन इसमें भी किसानों को कभी-कभी नुकसान उठाना पड़ता है। जैसे कि प्राकृतिक आपदा के कारण किसान की फसल खराब हो जाती है। लेकिन अगर किसान चाहे तो इस प्राकृतिक आपदा से भी बच सकते हैं। जिसके लिए उन्हें सरकारी योजना का लाभ लेना होगा। अगर वह सरकारी योजना का लाभ लेते हैं तो प्राकृतिक आपदा से अगर फसल खराब होती है तो उन्हें हानि नहीं होगी। उनकी मेहनत लागत सब कुछ पानी में नहीं जाएगा।

दरअसल हम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की बात कर रहे हैं। जिसके तहत किसानों को मामूली रकम जमा करनी होती है और फिर उससे उन्हें बहुत बड़ी रकम मुआवजे के तौर पर मिलती है। अगर फसल किसी तरह के प्राकृतिक आपदा के चपेट में आती है तो चलिए आपको इस योजना के बारे में जानकारी देते हैं।

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

PMFBY योजना केंद्र सरकार की एक लाभकारी योजना है। इस योजना का लाभ उठाकर किसान अपनी फसल का बीमा करवा सकते हैं। अगर फसल किसी तरह के प्राकृतिक आपदा से खराब होती है तो उन्हें मुआवजा सरकार देती है। जिसके लिए उन्हें इस योजना के अंतर्गत आवेदन करना होता है। जिसमें वह किसान जो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं तो 1233 रुपए एक हेक्टेयर का बीमा करवा सकते हैं और 82,200 का कवर दिया जाता है।

ही किसान अगर हरियाणा के रहने वाले हैं तो आपको बता दे की 1 हेक्टेयर में अगर गेहूं की फसल का बीमा करवाते हैं तो 1148.12 रुपए उन्हें प्रीमियम राशि देनी पड़ती है। जिसके तहत उन्हें 76541 रुपए का क्लेम दिया जाता है। गेहूं की फसल का बीमा की तारीख अभी तो निकल चुकी है लेकिन आने वाले अन्य सीजन में किसान इस बीमा योजना का लाभ ले सकते हैं और प्राकृतिक आपदा से होने वाले आर्थिक नुकसान को बच सकते हैं।

केंद्र के साथ राज्य सरकार भी करती है मदद

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केंद्र सरकार की योजना है। इसमें राज्य सरकार भी किसानों की मदद करती है। आपको बता दे की अलग-अलग फसल की राशि अलग होती है जिसमें 1.5 से लेकर के पांच फीसदी तक फसलों का बीमा कराया जाता है। जिसमें तीन में से किसान को एक हिस्सा ही प्रीमियम राशि देनी पड़ती है। एक हिस्सा राज्य सरकार, तो एक हिस्सा केंद्र सरकार देती है। यानी कि किसानों को कम खर्च करना पड़ता है और उनकी फसल का बीमा प्रीमियम हो जाता है।

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