इन फसलों से बनते है इत्र, अगरबत्ती और फेसपैक, खेती से बढ़ेगी आमदनी, इन केंद्रों में मिलती है ट्रेनिंग।
इन फसलों से बनते है इत्र, अगरबत्ती और फेसपैक
हमारे देश में कई प्रकार की फसलों की खेती होती है। जिसमें कुछ किसान अभी भी पारंपरिक फसलों की खेती करते हैं। लेकिन कुछ किसान ऐसे हैं जो कि अब नई फसलों की खेती करके अधिक कमाई कर रहे है। उसमें लागत कम आती है, समय कम लगता है और कम जमीन में ज्यादा मुनाफा होता है। उनके किसानों के लिए हम समय-समय पर नई-नई जानकारी भी लेकर आते हैं। जिसमें आज हम ऐसी फसलों की बात करने जा रहे हैं जिनसे इत्र बनाए जाते हैं।
वह किसान जिनके पास बहुत कम जमीन है। इन फसलों की खेती करके, इससे इत्र बनाने की यूनिट भी लगा सकते हैं और कमाई कर सकते हैं। जिनकी खेती बड़ी आसानी से अपने देश में हो जाती है और इनसे इत्र, अगरबत्ती और फेस पैक जैसे प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। आप आप चाहे तो खेती बस कर सकते हैं और अगर आप ज्यादा कमाई करना चाहते हैं तो प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर प्रोडक्ट बनाकर भी बिक्री कर सकते हैं। चलिए आपको इन फसलों के नाम बताते हैं जिनकी खेती करके आमदनी बढ़ा सकते हैं।
इनकी खेती से बढ़ेगी आमदनी
यहां पर हम बात कर रहे हैं मेथा, लेमनग्रास, तुलसी, खस, पामारोज, गुलाब आदि फसलों की खेती के बारे में। इन फसलों से सुगंधित प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। जिसकी वजह से किसानों को उनकी अच्छी कीमत मिलती है। इनकी खेती में किसानों को कई फायदे हैं। एक तो आमदनी बढ़ेगी, दूसरा फायदा कोई इन फसलों को चुरायेगा नही और तीसरा फायदा यह है कि जंगली जानवरों का इन पर अटैक नहीं होता है। यह फसलें कड़वी होती है जिससे जंगली जानवर इन्हें नहीं खाते हैं। उनकी खेती में किसानों को फायदा ही फायदा।
इन केंद्रों में मिलती है ट्रेनिंग
अगर आप इन फसलों की खेती करना चाहते हैं तो आपको बता दे कि कई ऐसी सरकारी संस्था है जहां पर इन फसलों की खेती के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है। यहां पर बताया जाता है कि आप कौन सी फसल लगाएं कि ज्यादा फायदा हो और इन फसलों से तेल कैसे निकाले जाते हैं, पाउडर कैसे बनाए जाते हैं, प्रोसेसिंग यूनिट कैसे लगाई जाती है। कहां पर आपको अपने उपज की बिक्री करनी है, कौन सा मार्केट ज्यादा बेहतर होगा, कैसे ज्यादा कमाई की जा सकती है।
जैसे कि उत्तर प्रदेश के कन्नौज में सुगम एवं सुरस विकास केंद्र स्थापित है। यहां पर किसानों के साथ-साथ बच्चों को भी ट्रेनिंग दी जाती है, शिक्षा दी जाती है, उन्हें सर्टिफिकेट दिया जाता है। एक साल बच्चो को ट्रेनिंग दी जाती है। जिससे बच्चो को इससे जुडी नौकरी मिलती है अगर वह चाहे तो अपना खुद का व्यवसाय भी कर सकते है।
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