भारत देश को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। हमारे भारत देश में हर तरह की खेती की जाती है। इन्हीं फसलों में से एक फसल है आलू की फसल जिसकी खेती बहुत बड़े स्तर पर भारत देश में की जाती है। आज हम आपको आलू की खेती के बारे में कुछ अहम जानकारी देने वाले हैं। आलू की खेती करने वाले किसान हमेशा ही इसमें लगने वाले कीट और रोगों से परेशान रहते हैं। हम आपको इन कीटो और रोगों से फसल को बचाने के उपाय बताने वाले हैं। आइए इसके बारे में जानते हैं।
आलू की फसल में लगने वाले कीट
आलू की फसल में कई प्रकार की बीमारियां लगने लगती है। तब आपको ऐसे में इसकी समय रहते पहचान करके इसका इलाज कर लेना चाहिए वरना पूरी फसल बर्बाद हो सकती है। वही आलू की फसल में सफेद भृंग कीट संक्रमण फैलता है। जिसकी वजह से पौधा पूरी तरह से सूखने लग जाता है। आलू की फसल में लगने वाला यह कीट आलू की फसल की जड़ों को पूरी तरह से चट कर देता है। मादा कीट मिट्टी में अंडे देती है। जिससे मट मटमैले रंग के कीट फसल को नुकसान पहुंचाने नजर आते हैं।
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कीट से बचाव
आलू की फसल को इस कीट से बचने के लिए आपको शाम के समय में 7 से 9 बजे के बीच में एक लाइट ट्रैप प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगा देना चाहिए। इतना ही नहीं किसानों को कीट से बचाव के लिए कार्बोफ्यूरान 3 जी की 25 किलो मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बुवाई के समय या बुवाई के कुछ दिनों बाद कर लेना चाहिए इससे कीट का खतरा नहीं होता है।
आलू की फसल में लगने वाला रोग
आलू की फसल में लगने वाला रोग जिसका नाम आलू की पत्ती मुड़ने वाला रोग है। यह एक वायरल बीमारी है जो वायरस के द्वारा फैलती है। यह फसल को बहुत हद तक नुकसान पहुंचती है। आपको इसको समय रहते रोकथाम करना बहुत जरूरी होता है। वरना यह फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर सकती है। आइए इससे बचाव के उपाय जानते हैं।
रोग से बचाव के उपाय
यह एक वायरल बीमारी है जो वायरस के द्वारा फैलती है। इसे रोकने के लिए आपको सबसे पहले दैहिक कीटनाशक या फिर फास्फोमिडान का 0.04% गोल मिथाइल ऑक्सिडिमिटान अथवा डायमीथोएट का 0.1% घोल बनाकर के इस पर एक से दो छिड़काव दिसंबर या जनवरी के महीने में कर देना चाहिए। इससे फसल पूरी तरह से सुरक्षित रहेगी और रोग का खतरा टल जाएगा।