किसानों की लगी लॉटरी, एक साथ दो-दो मिली खुशखबरी, जानिये गेंहू को समर्थन मूल्य पर खरीद को लेकर बड़ी खबर। सरकार ने लिया गेंहू की खरीद को लेकर किसानों के हित में फैसला।
गेंहू की खेती
गेहूं की कटाई के बाद कई किसानों ने गेहूं की बिक्री हाथों-हाथ खेतो से ही कर दी थी। जबकि कुछ किसान अभी भी समर्थन मूल्य पर सरकार को गेहूं बेचने वाले हैं। जिसको लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। जिसमें किसानों को फायदा मिलने के साथ समय को लेकर भी राहत की सांस मिली है। अब किसानों को कोई हड़बड़ी नहीं करनी पड़ेगी।
दरअसल, इस वर्ष गेहूं की फसल अच्छी नहीं हुई। जिसमें बारिश और बर्फ गिरने के कारण गेहूं सिकुड़ने के साथ चमक कम हो गई हैं। जिसके कारण शुरुआत में गोदाम में इन गेहूं को नहीं लिया जा रहा था, और समर्थन मूल्य की कीमत भी कम थी। साथ ही कुछ किसानों की तो फसल कटी भी नहीं थी, और उन्हें लग रहा था कि अब हम गोदाम तक नहीं पहुंच पाएंगे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। सरकार ने किसानों के हित में फैसला लिया है। चलिए जानते हैं कौन से दो फायदे हो रहे हैं।
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खरीद की तारीख बढ़ी है
सबसे पहले फायदे की बात करें तो सरकार ने समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी की जो अंतिम तारीख थी उसे बढ़ा दी है। अब मध्य प्रदेश के किसान 20 मई 2024 तक गेहूं पहुंचा सकते हैं। इसके बारे में प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने खुद ही बड़ा ऐलान किया है। जैसा कि आपको पता था अभी तक भोपाल, इंदौर, उज्जैन के साथ-साथ नर्मदा पुरम संभाग में 5 मई तक और रीवा, शहडोल, जबलपुर, सागर, चंबल और ग्वालियर संभाग में 15 तक का ही समय था। लेकिन अब इसे बढ़ा दिया गया है। इस तरह अब किसानों को थोड़ी राहत मिली है। चलिए जानते हैं दूसरी अच्छी खबर कौन सी है।
ख़राब गेंहू की भी मिल रही अच्छी कीमत
इस साल ज्यादातर किसानों की गेहूं की फसल अच्छी नहीं हुई। जिसके कारण वह बहुत चिंतित थे। क्योंकि उन्हें अच्छी कीमत भी नहीं मिल रही थी। साथ ही समर्थन मूल्य पर इन गेहूं को खरीद भी नहीं जा रही थी। क्योंकि इनमें चमक नहीं थी और गेहूं सिकुड़ा और टूटा हुआ था। लेकिन अब इन गेहूं को भी समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा। जिसमें 50% की छूट मिल रही है।
जी हां आपको बता दे कि केंद्र सरकार ने पहले तो मूल्य कटौती के 30% की अनुमति दी थी. लेकिन अब 50% समर्थन मूल्य पर चमकविहीन, टूटा और सिकुड़ा गेहूं खरीदा जाएगा। इस तरह किसानों को बड़ा आराम हुआ है। वहीं जिन किसानों ने मौके पर ही खेतों से ही अपने गेंहू बेंच दिए थे उन्हें पछतावा भी हो सकता है। लेकिन अगर स्थानीय प्रशासन पहले ही केंद्र सरकार से इजाजत ले लेती तो शायद किसानों को इन दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता।