करेला की खेती करने वाले किसानों के लिए जरूरी खबर, फल मक्खी के आतंक से फसल हो सकती है बर्बाद, चलिए जानते हैं इसके लक्षण और उपचार-
करेला की फसल में फल मक्खी का प्रकोप
करेला की खेती में किसानों को फायदा है। लेकिन इसके लिए किसान को बढ़िया गुणवत्ता वाला करेला बाजार में लेकर जाना होगा। अगर करेला में दाग धब्बे होंगे या उसका रंग खराब दिखाई देगा तो ग्राहक नहीं खरीदेंगे। जिसमें आपको बता दे की करेला की फसल में फल मक्खी का प्रकोप इस समय गंभीर समस्या बन रहा है। जिससे किसानों को उत्पादन तो कम मिल सकता है, साथ ही साथ करेला की गुणवत्ता भी खराब हो सकती है।
दरअसल यह एक मक्खी होती है जो की फसल को नुकसान पहुंचाती है। इस मक्खी का काम यही होता है कि वह फल में घुस जाती है और फिर उसे सड़ा देती है। चलिए आपको बताते हैं इसकी पहचान कैसे करें किसान और उपचार क्या है।
कैसे जाने की करेले में लगा है फल मक्खी
करेले में फल मक्खी लगा है यह जानने के लिए किसानों को अपनी फसल का निरीक्षण करते रहना चाहिए। उन्हें फल को देखना चाहिए क्या उसमें कोई छेंद या घाव नजर आ रहा है। इसके अलावा फल सड़ता हुआ दिखाई देगा तो समझ में आ जाएगा कि हां उसमें फल मक्खी का प्रकोप है। अगर फलों के ऊपर मक्खिया नजर आ रही है तो यह भी एक लक्षण है। फलों के बाहर लार्वा दिखने पर यह समझ में आ जाता है कि फल मक्खी ने अपना काम कर दिया। वह फल के भीतर जा चुकी है और उसे सड़ा रही है।

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फल मक्खी के आतंक से करेला कैसे बचाये
करेले की फसल में अगर फल मक्खी का आतंक फैल चुका है तो इससे अपनी फसल को किसानों को समय पर बचाना चाहिए। सबसे पहले जिसमें आपको यह लक्षण दिखाई दे रहा है उस फल को तोड़कर हटा देना चाहिए। नहीं तो अन्य फल में भी सड़ जाएंगे। किसान अगर बिना किसी रासायनिक दवा का छिड़काव के फल को बचाना चाहते हैं तो फलों को ढक कर रख सकते हैं। अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं तो कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं। जैविक नियंत्रण की विधियां भी अपना सकते हैं।
अगर किसान चाहते हैं इस तरह की समस्याएं उनके खेत में ना आए तो फसल चक्र का अनुसरण करें। एक ही फसल बार-बार लगाने से इस तरह की समस्याएं हैं अधिक पैदा होती है। अगर फल मक्खी का आतंक बहुत ज्यादा बढ़ रहा तो फसल को बचाने के लिए किसानों को रासायनिक नियंत्रण पर ध्यान देना चाहिए। बाजार में कीटनाशक दवाई मिलती है जिसका छिड़काव कर सकते हैं। जैसे कि मेलाथियॉन 50% ईसी, 250-300 मिलीलीटर, क्लोरपायरीफॉस 50% ईसी 400 मिलीलीटर या क्लोरपायरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी 300 मिलीलीटर एक एकड़ के हिसाब से।