जनवरी महीने में मौसम ज्यादा ठंडा होने लगता है ऐसे में फसलों को पाला-कोहरा से नुकसान होने के अधिक आसार नजर आते हैं। लेकिन किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। चलिए आपको इस लेख में अपनी फसल को पाले से बचाने का ग्लूकोज का जुगाड़ बताते हैं-
जनवरी में पाला-कोहरा से नुकसान
रबी फसलों की खेती अगर किसान करते हैं तो उनके सामने एक बड़ी चुनौती होती है ठंडी। जहां सर्दियों में किसानों को अपनी फसल को पाला-कोहरा से बचाना पड़ता है, सीत लहर से किसानों को नुकसान हो सकता है। जिसके कई उपाय हैं, जिसमें से कुछ केमिकल वाले हैं, तो कुछ देसी जुगाड़ भी हैं। जिसमें से आज हम ग्लूकोज का तरीका बताने जा रहे हैं जैसा कि इंसानों को जब कमजोरी होती है तो ग्लूकोज चढ़ाया जाता है इस तरह फसलों को भी पाला से बचाने के लिए ग्लूकोज का इस्तेमाल किया जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं ग्लूकोज का इस्तेमाल फसलों में कैसे करते हैं और उसका फायदा क्या होता है।
फसलों को चढ़ाते हैं ग्लूकोज
पाला-कोहरा से फसल को बचाने के लिए ग्लूकोज का छिड़काव कर सकते हैं। ग्लूकोज का छिड़काव करने से फायदा यह होता है कि पौधों की कोशिकाओं में घुलनशील पदार्थ की बढ़ोतरी होती है। जिससे अगर ठंड अधिक बढ़ती भी है तो भी पौधों की कोशिकाओं पर इसका असर नहीं होता है। तब अगर किसान खेत में ग्लूकोज छिड़कना चाहते हैं तो मात्रा की बात करें तो एक हेक्टेयर में 800 या 1000 लीटर तक पानी ले सकते हैं और उसमें ग्लूकोज मिलाकर छिड़क सकते हैं। जिससे पाला से उत्पादन नहीं घटेगा।
यहां पर 1 किलो ग्लूकोज ले सकते हैं। अगर सर्दी जल्दी खत्म नहीं होती है तो 15 दिन बाद दोबारा भी डाल सकते हैं। यहां पर आपको ग्लूकोज का इस्तेमाल के फायदे और ग्लूकोज कितनी मात्रा में लेना है इसके बारे में जानकारी दी गई है लेकिन अगर किसानों के यहां सर्दी खत्म हो चुकी है तो इसे डालने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
पाला-कोहरा से फसल बचाने के देसी जुगाड़
सर्दी से फसल को बचाने के लिए किसान और भी कई ऐसे जुगाड़ है जो की कर सकते हैं। जैसे कि खेतों के आसपास कंडे का धुआं कर सकते हैं। जिससे तापमान गर्म होगा। इसके अलावा खेतों के मेड़ो में किसान ऐसे पेड़ लगाए जिससे सीत लहर खेत में प्रवेश न करें। इसके अलावा सब्जियों की खेती अगर किसान करते हैं तो ठंडी राख का छिड़काव कर सकते हैं। इससे भी पत्तियों में पाला का असर नहीं होता है। हल्की सिंचाई करके भी किसान जमीन के तापमान को गिरने से बचा सकते हैं।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।