इस लेख में जिस किसान की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं उनके बारे में जानकर अन्य किसान भी गर्मियों में लाखों का मुनाफा कम जमीन से ले सकते हैं-
किसान के सफलता की कहानी
नमस्कार किसान भाइयों, समय-समय पर आपके लिए नए-नए किसानों की सफलता की कहानी लेकर आते हैं। उनके खेती के तरीके को समझते हैं, ताकि अन्य किसान भी कम लागत, कम जमीन से अधिक कमाई कर सके। जिसमें आज चर्चा करेंगे किसान चंद्रकांत बाबासो पाटिल की, यह सांगली जिले के रहने वाले हैं। 10 कट्ठे की जमीन से खर्च निकालने के बाद भी यह लाखों का मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने खेती का आधुनिक तरीका और सही वैरायटी का चयन किया है।
सही समय पर बुवाई की है। तभी इतना मुनाफा उन्हें मिल रहा है। आज गर्मियों में बिना बीज का खीरा ₹70 में बिक रहा है। जिसमें उत्पादन 2.5 टन के करीब मिला है तो इस हिसाब से आप अनुमान लगा सकते हैं उनकी कमाई का। तो चलिए जानते हैं उन्होंने कौन सी वेराइटी लगाई है, किस तरीके से खेती करते हैं।
खीरा की इस वैरायटी से किसान हुआ मालामाल
किसानों को किसी भी फसल को लगाने से पहले उसकी अच्छी वैरायटी की जानकारी ले लेनी चाहिए। अपने क्षेत्र की डिमांड के अनुसार भी बीजों का चयन करना चाहिए। जिसमें किसान बताते हैं कि उन्होंने केयूके 9S लगाया था। जिसमे बीज बहुत कम नाम मात्र के होते हैं। यही वजह है कि इसे बिना बीज वाला खीरा कहा जाता है। जिससे ग्राहक इसकी भारी डिमांड करते हैं, और अच्छी कीमत पर खरीदते हैं। इस समय 60 से ₹70 किलो यह खीरा जा रहा है। इस तरह की खीरा की यह वैरायटी किसानों के लिए अच्छा विकल्प है।
खेती का तरीका और समय
किसी भी फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए किसानों को सही समय पर बुवाई करनी चाहिए और आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल करेंगे तो लागत कम कर सकते हैं। जिसमें किसान ने बताया कि वह पॉलीहाउस में खेती करते हैं। पॉलीहाउस में खेती करने के कई फायदे हैं। अच्छी गुणवत्ता वाली उपज मिलती है, और रोग-कीट की समस्या कम आती है। तापमान पर किसान का नियंत्रण होता है। जिसमें वह तार और जाली बांधकर खीरा की खेती करते हैं। फसल को अच्छा सपोर्ट मिलता है, उत्पादन अधिक मिलता है।
थोड़ी सी जमीन से अधिक कमाई करने किसान ने उदाहरण दिया है। उन्होंने 10 कट्ठा की जमीन में खीरा लगाया है। जिसके लिए करीब 2000 पौधे की रोपाई की है, फरवरी के महीने में उन्होंने खीरा लगाया था। इस समय बढ़िया उत्पादन मिल रहा है। शुरुआत में उन्हें 100 किलो खीरा हर दिन मिल रहा था। धीरे-धीरे उत्पादन कम होता जाता है।
उनका कहना है कि 60 दिन के भीतर-भीतर ढाई टन उत्पादन उन्होंने ले लिया। जिससे अच्छी खासी आमदनी किसान की हुई है। जिससे अन्य किसान भी उनसे प्रेरित हो रहे हैं। खीरा की वैसे भी गर्मियों में मांग बढ़ जाती है। सेहत के लिए फायदेमंद होता है पानी की कमी को पूरा करता है।