आज के समय में अफीम की खेती बहुत ही कम मात्रा में की जाती है। ऐसा इसीलिए क्योंकि अफीम के नशे कई लोग करते हैं और इसके चलते लोग इसकी चोरी कर लेते हैं। ऐसे में किसानों की जान का जोखिम भी होता है। जिसकी वजह से बहुत कम लोग इसकी खेती करना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा पक्षी भी पाया जाता है जो इस फसल को देखते ही देखते चट कर जाता है।
जी हां हम बात कर रहे हैं अफीम की फसल की और इसको चट करने वाला पक्षी और कोई नहीं बल्कि तोता है। जी हां आपने बिल्कुल सही सुना तोता एक ऐसा पक्षी है। जो अफीम के डोडे का मादक दूध चख कर इसका आदि हो जाता है जिसकी वजह से यह फसल को नुकसान पहुंचता है।
नशेड़ी तोतों से परेशान किसान
आमतौर पर जहां देखा जाता है की पक्षी इंसानों की आहट सुनते ही आसमान में उड़ जाते हैं। लेकिन वही तोता इंसानों के पास आ जाने पर भी अफीम के पौधे से नहीं उड़ाता है। इतना ही नहीं वह अफीम के पेड़ों में लगे हुए डोडे से बंद जाते हैं और इसमें से अफीम निकालते हैं। इस वजह से किसानों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन नशेड़ी तोतों से किसान परेशान हो चुके हैं क्योंकि यह अफीम के डोडे खा जाते हैं। किसान इनको भागने में असमर्थ है और ऐसे में फसल का नुकसान हो रहा है।
अफीम की खेती में तोतों का हुड़दंग
बाराबंकी जिले में फिलहाल अफीम की खेती की जा रही है। अब ऐसे में किसानो की फसल को जितना नुकसान जंगली जानवर नहीं पहुंचा रहे हैं। उससे ज्यादा नशेड़ी तोते पहुंच रहे हैं। नशेड़ी तोते सुबह से लेकर शाम तक केवल इसी अफीम के पौधे पर मंडराते रहते हैं और मौका मिलते ही डोडे तोड़कर उड़ जाते हैं। अब ऐसे में किसान तोते के हुड़दंग से परेशान हो चुके हैं। तोता इन अफीम के डोडो को ले जाकर उसे अफीम खाते हैं।
किसानों को हो रहा नुकसान
इन अफीम के खेतों में हुड़दंग मचा रहे तोतों से किसानों को बहुत भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। बता दे कि यह तोता किसानों को कुछ समझ आए। उससे पहले ही फटाक से डोडे तोड़कर भाग जाते हैं। बता दे की अफीम के एक डोडे में लगभग 25 से 30 ग्राम अफीम होती है। साथ ही यह नशेड़ी तोता दिन भर में अच्छी खासी अफीम चुरा लेते हैं। जिसकी वजह से किसानों को बहुत नुकसान का सामना करना पड़ता है।
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नीलगाय से खतरा
अफीम की फसल एक ऐसी फसल है। जिसको नीलगाय और तोता दोनों से बहुत खतरा होता है। अफीम एक नशीला पदार्थ है जिसको अगर एक बार नीलगाय और तोता चख ले तो वह बार-बार खेत में आकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। नीलगाय और तोता दोनों ही इस फसल के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित होते हैं।
तोतों से अफीम की रखवाली
अफीम की खेती अगर करते हैं तो ऐसे में सबसे बड़ी दिक्कत उसकी रखवाली करने में आती है। अफीम की खेती से उत्पादन एक निश्चित सीमा में होता है इसको अगर एक बार लगाते हैं। एक लाइसेंस पर 80 किलो अफीम देना है फिर अगर इसे तोता नुकसान पहुंचाते हैं या नीलगाय नुकसान पहुंचती है। जिसके लिए आपको तोतों की रखवाली करनी होती है। जिससे कि गुलेल और शोर मचाने वाली चीजों का इस्तेमाल करके तोतों को भगाया जाता है । इससे फसल को बचाने का प्रयास किया जाता है।
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