जिले में आयोजित कृषक संगोष्ठी कार्यक्रम के दौरान एसडीएम के ज़रिए किसानों को यह जानकारी दी गई कि पराली प्रबंधन कैसे करें और सुपर सीडर कृषि यंत्र किसानों को कैसे मिलता है।
पराली प्रबंधन पर कृषक संगोष्ठी का आयोजन
पराली, जो कि फसल अवशेष होता है, फसल की कटाई के बाद बच जाता है। जब अनाज अलग कर लिया जाता है, तो खेत में बचे अवशेष को किसान कभी-कभी जला देते हैं। लेकिन पराली जलाने पर रोक लगी हुई है क्योंकि इससे कई नुकसान होते हैं।
इसीलिए किसानों को सुपर सीडर के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। सुपर सीडर का उपयोग करके पराली प्रबंधन किया जा सकता है। इससे खेत की जुताई किए बिना ही सफाई की जा सकती है, और बीजों की बुवाई भी संभव है। इससे बेहतर उत्पादन मिलता है और खेती के कई प्रकार के खर्चे घटते हैं।
एसडीएम ने दिया किसानों को यह संदेश
यह कृषक संगोष्ठी कार्यक्रम शिवपुरी जिले में आयोजित हुआ, जहाँ पराली प्रबंधन के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर एसडीएम भी मौजूद थे। उन्होंने किसानों से कहा कि पराली न जलाएं, क्योंकि इससे पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है, मिट्टी की गुणवत्ता घटती है, उसकी उर्वरा शक्ति कम हो जाती है और मिट्टी में मौजूद कार्बन तत्व भी समाप्त हो जाते हैं। यानी कि पराली जलाना हर दृष्टिकोण से नुकसानदायक है। इसलिए किसानों को सुपर सीडर मशीनें उपलब्ध कराई जा रही हैं।

किसानों को मिला सुपर सीडर
इस कार्यक्रम के दौरान किसानों को सुपर सीडर भी प्रदान किए गए। दो किसानों को सुपर सीडर कृषि यंत्र अनुदान पर दिए गए। दरअसल सरकार द्वारा पराली प्रबंधन के लिए किसानों को सुपर सीडर अनुदान पर दिए जाते हैं, जिसके लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। इस योजना के तहत खड़क सिंह, जो कि मधेराजपुरा के निवासी हैं, और हेमराज नागर निवासी बड़ौदा को सुपर सीडर प्रदान किए गए हैं। इन्हें सरकार की इस योजना का लाभ मिला है।

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