इस चटक लाल फल की खेती किसानो की भरेगी खाली झोलिया, जाने कैसे होती है इसकी खेती

इस चटक लाल फल की खेती किसानो की भरेगी खाली झोलिया, जाने कैसे होती है इसकी खेती। चुकंदर एक महत्वपूर्ण जड़ वाली सब्जी है, जिसका उपयोग सलाद, रस और औषधीय रूप में किया जाता है। इसमें आयरन, विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। आइए इसकी खेती के बारे में विस्तार से जानते है।

चुकंदर की खेती के लिए जलवायु और भूमि

चुकंदर ठंडे और समशीतोष्ण जलवायु में अच्छा उत्पादन देता है। 15-25°C तापमान इसके लिए उपयुक्त होता है। दोमट और बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। मिट्टी का pH मान लगभग 6.0-7.0 के बीच होना चाहिए।

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चुकंदर की खेती कैसे करें

चुकंदर की खेती के लिए मिट्टी को अच्छी तरह जोतकर भुरभुरी बना लें। जैविक खाद या गोबर की खाद मिलाना लाभकारी होता है।इसकी खेती उत्तर भारत में अक्टूबर से दिसंबर में होती है तो वही दक्षिण भारत में सितंबर से नवंबर में की जाती है। कतारों में या छिटकवां विधि से बुवाई की जाती है। कतार से कतार की दूरी लगभग 30 सेमी होनी चाहिए। चुकंदर के पौधे से पौधे की दूरी लगभग 10-15 सेमी होनी चाहिए।

पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें। शीतकालीन मौसम में 10-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। जल भराव से बचाव करें, वरना जड़ें खराब हो सकती हैं। बुवाई के 90-120 दिनों के बाद फसल तैयार हो जाती है। जब चुकंदर की जड़ें 5-7 सेमी मोटी हो जाएं, तब खुदाई करें। चुकंदर का 200-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है।

चुकंदर से कमाई

चुकंदर की बाजार में अच्छी मांग रहती है। इसके रस का उपयोग स्वास्थ्यवर्धक पेय के रूप में किया जाता है। इसकी खेती से कम समय में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

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