बिना ड्राइवर खेत जोत रहा ट्रैक्टर, मजदूरों के पैसे की हुई बचत, जानिए कौन-सी तकनीक से किसान ने दिखाया जादू। जिससे आप भी कर सके इस तकनीक से खेत की जुताई बिना किसी ड्राइवर के।
खेती-किसानी में मजदूरों की समस्या
अगर बड़े पैमाने पर खेती-किसानी करते हैं तो उसमे मजदूर का खर्चा अलग बैठ जाता है। लेकिन आजकल ज्यादातर लोग मजदूरी नहीं करना चाहते है। जिससे किसानों को खेती में बड़ी समस्या आती है। क्योंकि उन्हें मजदूर नहीं मिलते। आजकल गांवों में भी मजदूर के लिए बड़ी मशक्क्त करनी पड़ती है। उनके हाथ पर जोड़ने पड़ते हैं। सुबह-शाम उन्हें बुलाना पड़ता है।
इसीलिए एक किसान ने ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जिससे बिना ड्राइवर के ही ट्रैक्टर चल गया। जिसको देखने के बाद गांव के लोग आश्चर्यचकित रह गए वह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर यह कैसे हो गया। तो चलिए जानते हैं उन्होंने किस तकनीक का इस्तेमाल किया और इसे बनाने में कितनी लागत आई।
कौन-सी तकनीक से बिना ड्राइवर के चला ट्रैक्टर
दरअसल, यह किसान महाराष्ट्र के अकोला जिले के रहने वाले हैं। जिनका नाम राजू वरोकर है। इन्होंने खेती किसानी में मजदूरों की कमी को देखते हुए एक नई तकनीकी का सहारा लिया। जिससे वह बिना किसी ड्राइवर के ही ट्रैक्टर चला सकते हैं। आपको बता दे कि उन्होंने जर्मन तकनीक के अंतर्गत जीपीएस कनेक्ट सॉफ्टवेयर से चलने वाले बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर चलाया और उससे खेतों की बुवाई की।
यहां पर होता यह है कि ऑटो पायलट शोइंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद ट्रैक्टर को ऑटो पायलट मोड पर डालकर चलाया जाता है। जिसे देख कर असंभव सा लगता है। क्योंकि ट्रैक्टर पर कोई इंसान नहीं बैठा होता और वह चलता है। मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दे कि जर्मन इंजीनियरिंग के अंतर्गत रियल टाइम की नेमैटिक डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें एक डिवाइस होता है जो खेत के पास रखा जाता है और फिर जीपीएस की मदद से ट्रैक्टर को कनेक्ट करके चलाया जाता है।
उन्हें इस तकनीकी के बारे में गूगल से ही जानकारी मिली। क्योंकि मजदूरों की कमी की समस्या से वह बहुत ज्यादा परेशान थे, की कैसे उन्हें बिना मजदूरों के खेती करने में मदद मिले। चलिए जानते हैं इस तकनीक में लागत कितनी आती है।
यह भी पढ़े- ना भारी, ना महंगी एक बोतल में मिलेगी खाद, हाथ में झुलाते खेत में पहुंचेंगे किसान, फसल को होगा फायदा, जाने दाम
बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर चलाने में कितना आएगा खर्चा
इस तकनीक में लागत की बात करें तो जितना खर्चा आएगा, उतना ही आपको फायदा भी है। क्योंकि किसानों को पता ही है कि मजदूरों को ढूंढना और उनकी मजबूरी देना खेती-किसानी में एक बड़ा खर्च बैठता है। लेकिन अगर इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है तो लंबे समय तक के लिए मजदूरों की समस्या ही समाप्त हो जाएगी। जिसमें इसमें आने वाली लागत के बारे में बताते हुए किसान का कहना है कि 4.5 से लेकर के 5 लाख रुपए तक का इसमें खर्च आता है।
लेकिन इसमें फायदा यह है कि किसान उपज बढ़ा सकते हैं और इसमें कम समय और मेहनत लगेगी। एक रिपोर्ट के अनुसार भी यह जानकारी मिलती है कि इस तकनीक का इस्तेमाल करने से 17.9 फीसदी तक उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। वही बीज अंकुरण में भी 14.01 का सुधार है। इस तरह यह तकनीकी काम की है। लेकिन इसमें एक बार किसानों को लाखों में खर्च करना पड़ेगा। लेकिन अगर आगे का सोचा जाए तो इसमें उन्हें फायदा भी है।
यह भी पढ़े- कृषि सखी की 60 से 80 हजार रु की होगी कमाई, जानिये कैसे बने कृषि सखी और किन राज्यों का हुआ चयन