लौकी की पैदावार बढ़ाएं, सड़न रोग से ऐसे बचाएं, जानिये बुवाई से कटाई तक कैसे बचाएं लौकी की फसल।
लौकी की पैदावार बढ़ाएं
लौकी की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है। लेकिन अगर खेती सही तरीके से की जाए तभी अच्छी पैदावार मिलती है। फिर कमाई होती है। लौकी की फसल में कई तरह की समस्याएं आती है। जिनके बारे में हम आगे चर्चा करने जा रहे हैं। इसके अलावा उपाय भी जानेंगे। जिसमें शुरुआत से ही ध्यान रखेंगे तो उन्हें किसी तरह की समस्या नहीं आएगी और लौकी की फसल में नुकसान नहीं होगा।
लौकी की फसल में आने वाली समस्या
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जानिए लौकी की फसल में कौन-कौन सी समस्याएं आती है।
- लौकी की फसल में फ्रूट फ्लाई, रेड पंपकिन बीटल, आदि कीट लगते हैं, यह कीट फलों को छेंद कर देते हैं। जिससे फल धीरे-धीरे सड़ने लगता है। रोग फैलने लगता है।
- इसके अलावा लौकी की फसल में फफूंद आदि की समस्या आती है। जिसमें फंगल संक्रमण अधिक होता है। कृषि विशेषज्ञ का कहना है कि फाइटोफ्थोरा, पाइथियम, और एन्थ्रेक्नोज आदि हैं, जिनसे फंगल संक्रमण होता है। इससे भी फल खराब होते हैं।
लौकी की फसल को सड़न रोग से ऐसे बचाएं
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जाने लौकी की फसल को सड़ने से फंगल लगने से कैसे बचाएं।
- लौकी की खेती करते समय किसानों को शुरुआत में ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले बीजों का उपचार करना चाहिए। जिससे रोग बीमारी और फंगल का खतरा कम आता है।
- जिसमे बीज को कार्बेन्डाजिम फफूंद नाशकों से उपचार करना चाहिए।
- सिंचाई का भी ध्यान रखना चाहिए। खेत में अधिक जल भराव नहीं होना चाहिए। कम पानी में खेती करना है तो ड्रिप सिंचाई पद्धति अपनाएं।
- फफूंद की समस्या को दूर करने के लिए सिंचाई के समय एक लीटर पानी में दो ग्राम साफ डालें।
- बीज की बुवाई करते समय दूरी का भी ध्यान रखें। एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी उचित होनी चाहिए। ताकि पैदावार अच्छी मिले।
- इसके अलावा कीटनाशक का समय पर छिड़काव करना चाहिए। तभी उनपर काबू किया जा सकता है। एक पौधे पर जब कोई समस्या दिखाई दे तो उसका उपाय करें।
- कई जैविक तरीके है जिससे कीटो से निपटा जा सकता है। उत्पादन अधिक लिया जा सकता है। जिन्हें 10 से 15 दिन के अंतराल में इस्तेमाल करें।