अरबी की खेती (Arbi ki kheti) से मिलेगा दोगुना मुनाफा। चलिए इस लेख में जानते है अरबी की खेती से जुडी पूरी जानकारी-
अरबी की खेती
यदि आप एक किसान हैं और एक बढ़िया फायदा देने वाली फसल को लगाना चाहते हैं, तो अरबी की खेती आपके लिए सबसे सही फसल साबित हो सकती हैं। क्योंकि यह एक ऐसी फसल है जिसके कंद, पत्ते यहाँ तक की इसका तना (डंठल) भी बिकता है। आजकल बाजार में इसकी डिमांड बहुत बढ़ रही हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अरबी के कंद, पत्ते और तनों में ऐसे कई पौषक तत्व मौजूद होते हैं, जो बहुत सी बिमारियों में कारगर साबित होते हैं और अरबी की यही बढ़ती डिमांड आपको बाजार में इसका अच्छा भाव दिलाने में मदद करेगी।
इतना ही नहीं, आप इसे साल में दो बार लगाकर डबल मुनाफा भी कर सकते हैं और आज हम बताएंगे अरबी की खेती से जुड़ी सारी जानकारी, जो आपके लिए इसकी खेती को आसान बना देगी।
अरबी की खेती कहां होती है?, कितना होता है फायदा ?
भारत में किसानों का एक बहुत छोटा हिस्सा ही अरबी की खेती करता है, लेकिन इसकी डिमांड के कारण यह बहुत फायदे वाली फसल है। अयोध्या के एक किसान, हरिशचंद्र चौरसिया पिछले 8 सालों से अरबी की खेती कर रहे हैं और वे प्रत्येक एकड़ से 2.50 लाख तक मुनाफा करते हैं। अब बात करें अरबी की खेती की, तो भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड और ओडिशा में मुख्य रूप से अरबी की खेती की जाती है।
अरबी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
अरबी की खेती की खेती में सही मिट्टी का चुनाव करेंगे तो बेहतर उत्पादन मिलेगा। वैसे तो अरबी की खेती हर तरह की जीवांश युक्त उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन यह बलुई दोमट या जैविक तत्वों की भरपूर मात्रा वाली मिट्टी में उगाने पर बढ़िया परिणाम देती है। अरबी की खेती के लिए भूमि का पीएच 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए और जमीन गहरी होनी चाहिए।
अरबी की बुवाई का समय
अगर बात करें अरबी के बुवाई के सही समय की, तो इसे आप किसी भी समय लगा सकते हैं। यह फसल गर्मी और ठण्ड दोनों मौसमों को आसानी से झेल सकती है। खरीफ के मौसम में इसकी बुवाई जुलाई के अंत में करना उचित होता है जिससे फसल दिसंबर तक तैयार हो जाती है। जबकि रबी के मौसम में आपको इसकी बुवाई अक्टूबर में करनी चाहिए, जिसके बाद यह अप्रैल से मई के बीच तैयार हो जाती है। हालाँकि, इसके पौधे बरसात और गर्मी में काफी तेजी से विकसित होते हैं। अरबी की फसल को तैयार होने में लगभग 140 दिनों का समय तो लगता है।
अरबी की उन्नत किस्में
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार अरबी की कुछ उन्नत किस्मों के बारे में जानें-
- नरेंद्र अरबी : इसके पत्ते मध्यम आकार के एवं हरे रंग के होते हैं। इस किस्म की पत्तियों के साथ तने एवं कंद भी खाने लायक होते हैं। फसल 170 से 180 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति एकड़ 4.8 से 6 टन पैदावार देती है।
- इंदिरा अरबी 1: इस किस्म के पत्ते मध्यम आकार के और हरे रंग के होते हैं। इसके कंद जल्दी पकने वाले और बहुत स्वादिष्ट होते हैं। यह प्रति एकड़ खेत से 8.8 से 13.2 टन तक पैदावार देती है और रोपाई के 210 से 220 दिनों बाद इसकी खुदाई की जा सकती है।
- श्री रश्मि : इस किस्म का पौधा लंबा एवं सीधा होता है। पत्तियां हरे रंग की एवं झुकी हुई होती हैं। तने के ऊपर का हिस्सा हरा, मध्य एवं नीचे का हिस्सा बैंगनी रंग का होता है। इसके कंद बड़े आकार के होते हैं। यह उबालने पर जल्दी पकने वाली किस्म है। फसल करीब 200 दिनों में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है और इस किस्म से एक एकड़ खेत से 6 से 8 टन तक पैदावार होती है।
- वाइट गौरैया : इस किस्म की पत्तियां, डंठल एवं कंद खुजलाहट मुक्त होते हैं। रोपाई के करीब 180 से 190 दिनों बाद फसल की खुदाई की जा सकती है। प्रत्येक एकड़ भूमि में खेती करने पर 6.8 से 7.6 टन तक पैदावार होती है।
- इन किस्मों के अलावा अरबी की कई अन्य किस्मों की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। जिनमें श्री पल्लवी, श्री किरण, पंचमुखी, सतमुखी, आजाद अरबी, मुक्तकेशी, आदि किस्में शामिल हैं।
अरबी की बुवाई कैसे करें?
अरबी की बुवाई कंद से की जाती है और इसकी बुवाई करने के लिए अच्छी जल निकास वाली दोमट मिट्टी वाले खेत में, सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से 2-3 बार गहरी जुताई करें। इसके बाद, बुवाई से 15-20 दिन पहले 200-250 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से गोबर की खाद मिट्टी में मिला दें। अरबी की बुवाई किसानों द्वारा मेड़ या क्यारियां बना कर की जाती है, तो आपको पहले खेत में मेड़ को तैयार करना होता है। इसके लिए खेत में एक से डेढ़ फ़ीट की ऊंचाई रखते हुए 45 से.मी. की दूरी पर मेड़ बना लें या आप क्यारियों में बुवाई करना चाहते हैं तो जमीन को पाटा लगाकर समतल कर लें और क्यारियां बना लें।
इन सभी तैयारियों के बाद, हाथों की मदद से 0.5 से.मी. की गहरायी पर इसके कंद की बुवाई कर दें। एक एकड़ में आपको अरबी की खेती के लिए 300 से 400 कंदों की आवश्यकता होगी। कंद लेते वक्त ध्यान रखें कि कंद स्वस्थ होने चाहिए।

अरबी के लिए उपयुक्त खाद और उर्वरक
ज्यादातर किसान अरबी की खेती करते वक्त गोबर खाद का ही उपयोग करते हैं क्योंकि यह उत्पादकता के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हालाँकि, आप अरबी की फसल के विकास के लिए रासायनिक उर्वरकों का उपयोग भी कर सकते हैं। इन उर्वरकों में, फॉस्फोरस 50 किलोग्राम, नाइट्रोजन 90-100 किलोग्राम और पोटाश 100 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें। इसकी मात्रा आधी बुवाई करते समय और आधी मात्रा बुवाई के एक माह के बाद डालें। यह अरबी के विकास में सहयोगी होते हैं।
अरबी की सिंचाई समय पर करना ना भूलें
यदि समय पर सिंचाई होती रहे तो यह किसी भी फसल के लिए फायदेमंद होता है। यदि आपने अरबी को गर्मी के मौसम में बोया है, तो इसे ज्यादा सिंचाई की जरुरत पड़ती है। गर्मी बुवाई के बाद, बीजों के ठीक अंकुरण के लिए आपको 7 से 8 दिनों तक लगातार सिंचाई करनी चाहिए। वहीं, बरसात के मौसम में बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है।
अरबी में सिंचाई करते वक्त ध्यान रखें कि ज्यादा पानी के कारण फसल खराब होने की संभावनाएं भी रहती हैं। अगर आप सर्दियों के मौसम में इसकी बुवाई कर रहे हैं, तो 15-20 दिनों के अंतराल पर ही सिंचाई करें। सिंचाई के लिए आप खेत में ड्रिपिंग की सहायता ले सकते है, इससे आपके पानी की बचत के साथ-साथ सिंचाई कार्य भी आसान हो जायेगा।
अरबी की फसल की खुदाई
अगर बात करें अरबी की खुदाई की, तो इसकी खुदाई किस्मों के अनुसार होती है। वैसे जब अरबी की फसल बुवाई के लगभग 140-150 दिनों के बाद अच्छी तरह पककर तैयार हो जाये, तब ही इसकी खुदाई करनी चाहिए और खुदाई पूरी सावधानी से करें, वरना कंदों को नुकसान पहुंच सकता है। खुदाई करने के बाद, अरबी के कंदो को धूप में अच्छी तरह सुखाएं, जिससे उनमें मौजूद नमी कम हो जाएगी और उन्हें आप लंबे समय तक स्टोर करके रख सकते हैं।
कितनी होती है अरबी से कमाई?
अरबी की बहुत सी ऐसी किस्में हैं, जो अच्छी उपज होने पर एक हेक्टेयर में 150-180 क्विंटल तक की पैदावार देती हैं और बाजार में हमेशा अरबी की कीमत अच्छी रहती है। यानी आप अरबी की खेती करके प्रति एकड़ में 1.5 से 2 लाख तक की कमाई बड़ी आसानी से कर सकते हैं।