सर्दियों के मौसम में गेहूं की फसल पर पीला रेतुआ का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। जिससे गेहूं की फसल को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचता है गेहूं की फसल को इस रोग से सुरक्षित रखने के लिए इस लेख माध्यम से जानते है इसकी रोकथाम के लिए असरदार उपाय।
गेहूं की फसल पर पीला रतुआ का प्रकोप
गेहूं की फसल की बुवाई पूरी हो चुकी है और कुछ जगहों पर तो किसानों ने गेंहू की फसल में सिंचाई भी कर दी है लेकिन इस समय मौसम में बदलाव और सर्दी की पहली बरसात के बाद हवा में नमी और ठंड तेजी से बढ़ चुकी है जिस कारण से गेंहू की फसल में पीला रतुआ का प्रकोप बढ़ सकता है। इस रोग से फसल को सुरक्षित रखने के लिए कई किसान अपनी-अपनी गेहूं की फसल में कई चीजों का उपयोग करेंगे इसलिए आज हम आपको एक ऐसी चीज के बारे में बता रहे है जो गेहूं की फसल में पीला रतुआ का प्रकोप कम करने के लिए बेहद कारगर और लाभकारी साबित होती है तो चलिए जानते है कौन चीज है।

पीला रतुआ का नामोनिशान मिटा देगी ये चीज
गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग का नामोनिशान मिटा देगा प्रोपिकोनाजोल। आपको बता दें प्रोपिकोनाजोल एक प्रणालीगत कवकनाशी है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर गेहूं की फसल में रोगों को रोकने के लिए लाभकारी माना जाता है। ये एक शक्तिशाली एर्गोस्टेरॉल जैवसंश्लेषण अवरोधक है। इसका इस्तेमाल करने से गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग का नामोनिशान जड़ से खत्म हो जाता है।
कैसे करें उपयोग
गेहूं की फसल में पीले रतुआ रोग के इलाज के लिए प्रोपिकोनाज़ोल का उपयोग बहुत लाभकारी और असरदार साबित होता है इसका उपयोग एक एकड़ में करने के लिए 200 लीटर पानी में 200 मिलीलीटर प्रोपिकोनाजोल को अच्छे से मिलाना है और गेहूं की फसल में छिड़काव करना है आपको बता दें इसका उपयोग मौसम साफ़ होने पर यानी बारिश न हो और कोहरा या ओस न हो तब छिड़काव करना है। ऐसा करने से गेहूं की फसल में पीले रतुआ रोग का जड़ से नामोनिशान खत्म हो जाता है। प्रोपिकोनाज़ोल फ़ंगस की वृद्धि को रोकता है और उसे पूरी तरह खत्म कर देता है।
पीला रतुआ क्या है
पीला रतुआ गेहूं की फसल में होने वाली एक बीमारी है ये एक तरह का फ़ंगस है जो गेहूं के पौधों को सुखा देता है और फ़सल के उत्पादन पर बहुत खराब असर डालता है। गेहूं की फसल में पीला रतुआ का इलाज जितना जल्दी हो सके करना चाहिए नहीं तो ये पूरी तरह फसल को नष्ट कर देता है। पीला रतुआ गेहूं के सबसे खतरनाक रोगों में से एक है पीला रेतुआ रोग के लक्षणों में पीले रंग की धारियां पतियां पर दिखाई देती है। इसको पहचानने के लिए पत्ते को तोड़ कर हाथ पर मसलना चाहिए। अगर हल्दी जैसा रंग पीला चूरन निकलता है तो यह पीला रेतुआ है।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।