पछेती गेहूं की फसल में मार्च अप्रैल तक बालियों विकसित होना शुरू हो जाता है ऐसे में किसानों को अच्छे उत्पादन के लिए इस उर्वरक का इस्तेमाल पौधों में जरूर करना चाहिए जिससे पैदावार कई गुना मात्रा में बढ़ जाती है तो चलिए जानते है कौन से उर्वरक है।
गेहूं के दाने होंगे चमकदार-वजनदार
पछेती गेहूं की बुवाई आमतौर पर नवंबर के अंत से लेकर दिसंबर के पहले सप्ताह तक की जाती है बुवाई के 65-70 दिनों के बाद पौधों में बालियां आने लगती है। पछेती गेहूं की फसल में अधिक दाने वाली और लंबी बालियां पाने के लिए संतुलित खाद का प्रयोग, सही समय पर सिंचाई और कीटों से बचाव जैसे उपाय महत्वपूर्ण होते है आज हम कुछ ऐसी चीजों के बारे में बता रहे है जो न केवल गेहूं की बालियों में दानों को मोटा चमकदार और मजबूत करती है बल्कि उन्हें कीट रोगों से भी बचाती है तो चलिए जानते है कौन से उर्वरक है।

पछेती गेहूं की फसल में डालें ये उर्वरक
पछेती गेहूं की फसल में बालियां आने पर डालने के लिए हम आपको नीम के तेल, छाछ और गुड़ से तैयार उर्वरक के बारे में बता रहे है नीम का तेल फसल में एक जैविक कीटनाशक का काम करता है जो गेहूं की बालियों में दानों को कीट और रोगों से बचाता है। छाछ से गेहूं की फसल को पोषण मिलता है दाने भारी होते है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है छाछ में फास्फोरस, कैल्शियम, पोटेशियम जैसे पोषक तत्व होते है जो गेहूं की बालियों के विकास के लिए आवश्यक होते है गुड़ पौधों की जड़ों को मजबूत बनाता है और मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को पौधों के लिए उपलब्ध करता है इन तीनों चीजों से बने उर्वरक का इस्तेमाल पछेती गेहूं की फसल में जरूर करना चाहिए इसके अलावा आप पछेती गेहूं की फसल में बालियां आने पर दाने भरने और फसल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एनपीके 0:52:34 का छिड़काव कर सकते है साथ ही माइक्रो न्यूट्रिएंट्स का भी प्रयोग कर सकते है।
कैसे करें उपयोग
पछेती गेहूं की फसल में बालियां आने पर नीम के तेल, छाछ और गुड़ से तैयार उर्वरक का उपयोग बहुत उपयोगी और लाभकारी साबित होता है इनका उपयोग करने के लिए 5 से 10 लीटर पानी में 10 मिली नीम का तेल, आधा किलो गुड़, दो लीटर छाछ को अच्छे मिलाकर पौधों में स्प्रे करना है जिससे फसल की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और गेहूं के दाने मोटे और चमकदार होंगे इसके अलावा एनपीके 0:52:34 (750 ग्राम प्रति एकड़) का छिड़काव कर सकते है।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।