गेहूं की कटाई हो जाने के बाद ले इस मशीन का सहारा, मिलेगा ज्यादा चारा और अधिक मात्रा में अनाज। रबी सीजन के इस सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की कटाई बहुत तेजी के साथ चल रही है। अगेती गेहूं की बुवाई की फसल अब तक पूरी तरह से पककर तैयार हो चुकी है। गेहूं की कटाई करने के बाद में किसान केवल अनाज का ही नहीं इसके साथ सूखे चारे का भी उत्पादन कर सकते हैं।
इस उपाय से अलग से पैसा कमाने का तरीका मिल जाता है। जिसके लिए आप स्ट्रॉ रीपर नाम की इस मशीन का इस्तेमाल कर सकते है जो बहुत उपयोगी साबित होती है। आइए इसके बारे में जानते है।
स्ट्रॉ रीपर
वही बता दे कृषि उपकरण विशेषज्ञ अवतार सिंह की माने तो, स्ट्रॉ रीपर एक आधुनिक कृषि यंत्र में इसकी गिनती आती है, जोकि गेहूं की कटाई हो जाने के बाद में आप खेत में बचे हुए बाकि के अवशेषों को भूसे के रूप में तैयार कर सकते है। इन अवशेषों को जलने से प्रदूषण बढ़ता और कई दुर्घटनाएं भी उत्पन्न होती थीं। लेकिन अब मशीन की मदद से आप इन बचे हुए अवशेषों का इस्तेमाल कर सकते हैं। भूसा सिर्फ पशुओं के लिए ही चारे के रूप में उपयोगी नहीं है, बल्कि इसको इस्तेमाल करके पेपर और कार्डबोर्ड उद्योग यह उपयोगी साबित होता है।
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प्रति एकड़ कितना भूसा मिलेगा
इस मशीन स्ट्रॉ रीपर को आप ट्रैक्टर में जोड़कर चला सकते है। गेहूं की कटाई हो जाने के बाद में खेत में बचे हुए फसल के अवशेषों को इस मशीन से काट करके भूसे में बदल सकते है। इस मशीन में लगी हुई इस ट्रॉली में भूसा इकट्ठा होते रहता है। जिसमे लगभग 30 से 35 मिनट में एक ट्रॉली को भर लिया जाता है, वही इसमें 8 से 10 क्विंटल तक भूसा होता है। जिसके अलावा, कटाई करते समय खेत में बची हुई गेहूं के कल्लो को भी इस मशीन में इकट्ठा कर लिया जाता है।
स्ट्रॉ रीपर से काम कैसे होता है?
सबसे पहले आपको बता दे ट्रैक्टर की पीटीओ शाफ्ट से इस मशीन को संचालित किया जाता है। इस मशीन के आगे की तरफ लगी हुई रील में फिंगर लगी मिलती हैं जोकि इस फसल अवशेषों को आगे बढ़ाने का काम करती हैं। इसके बाद में यह सारे अवशेष इस कटर ब्लेड से कटकर थ्रेसर में चले जाते है। इसके बाद इस थ्रेसर में लगे हुए धारदार ब्लेड अवशेषों को यह बहुत ही छोटे-छोटे टुकड़ों में तैयार करके देते हैं, इससे भूसा तैयार किया जाता है।
किसानों को होगा तीन गुना ज्यादा फायदा
किसानों को इससे खेत में बहुत सारी बची हुई बालियों से अतिरिक्त अनाज मिल जाता है जिससे किसानो को फायदा मिलता है। इससे आप भूसा तैयार करके इस भूसे को बेच करके अन्य कमाई भी कर सकते हैं। इससे खेत में फसल से बाकि अवशेष जलाने की आवस्यकता नहीं होती है। इतना ही नहीं इससे मिट्टी की उर्वरता शक्ति पर असर नहीं होता और प्रदूषण भी कम होता है।
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