चने की फसल से 30 मण से अधिक का उत्पादन लेने का जबरदस्त फार्मूला लगा हाथ,अपना ले यह तरीका होगा तगड़ा उत्पादन

चने की खेती लगभग सभी किसान करते हैं। फिलहाल चने की बुवाई हो चुकी है लेकिन अब ऐसे में किसानों को इस बात का ज्ञान नहीं होता है कि इससे उत्पादन कैसे अच्छा प्राप्त किया जा सके। जिसके लिए हम आपको आज ऐसा फार्मूला बताने जा रहे हैं जिससे आप अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे।

चने की बुवाई का सबसे सही समय

चने की बुवाई के सही समय कि अगर बात करें तो आपको इस बात पर ध्यान देना होगा कि चने की बुवाई अक्टूबर और नवंबर महीने में हो जानी चाहिए। अगर आप लेट बुवाई करते हैं तो ऐसे में 15 दिसंबर तक चने की बुवाई किसी भी हालत में हो जानी चाहिए। लेकिन अगर आप लेट बुवाई करते हो तो ऐसे में आपको सही उन्नत किस्म का चुनाव करना होगा। जिससे कि आपको पैदावार अच्छी प्राप्त हो सके।

चने की किस्म

चने की कई सारी किस्में है जिसमें से कुछ किस्में ऐसी है जो अच्छी पैदावार देती है। आपको बता दे चने की सबसे अच्छी किस्म में विजेता, विजेता 92/82 और दफ्तरी 21 मानी जाती है। इन केस मन का चुनाव करके आप चने की खेती करते हैं तो आपको अच्छा उत्पादन प्राप्त होगा। इन किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है जिससे कि इससे उत्पादन की क्षमता बहुत ज्यादा होती है।

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चने की फसल में कौन सा उर्वरक डालें

चने की खेती करने वाले सभी किसानों को इस बात का ध्यान देना होगा कि आपको चैन की किस्म के मुताबिक इसमें उर्वरक डालने होंगे। जैसे काबुली चने की किस्म के लिए आपको विजई के समय 13 किलो यूरिया और 100 किलो सुपर फास्फेट प्रति एकड़ डालना होगा। आपको चैन की प्रोटीन मात्रा को बढ़ाना है तो सल्फर को बुवाई के समय डालना होगा। इसके साथ ही बेताल डोज में डीएपी और यूरिया आपके पास नहीं है तब आपको एनपी 12-32-16, 60 किलोग्राम प्रति एकड़ डालना होगा। इस प्रकार आपको सही समय पर सही उर्वरक का इस्तेमाल करना होगा जिससे उत्पादन क्षमता बढ़े।

सही खरपतवार नाशक दवाइयां का इस्तेमाल

आपको चने की फसल में खरपतवार से छुटकारा पाने के लिए पेंडिमेथालिन दवा का उपयोग करना चाहिए। इसका उपयोग करने के लिए आपको 500 लीटर पानी में 2.50 लीटर पेंडिमेथालिन दवा को घोलकर फसल पर स्प्रे कर देना चाहिए। इतना ही नहीं खरपतवार को रोकने के लिए किस परस्टूट नामक दवा का भी उपयोग कर सकते हैं। इस प्रकार आप सही समय पर खरपतवार का खात्मा कर सकते हैं।

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चने को रोग और कीटों से बचाने के उपाय

चने की फसल में खास करके कीट टिड्डी, स्लग और हाई फंगस जैसी कई सारी दिक्कतें देखने को मिलती है। जब आपको कीड़े नजर आने लगे तब आपको तुरंत डीवार्मर और अंडा किलर जैसे कीटनाशक का इस्तेमाल कर लेना चाहिए। अगर फसल में आपको फली छेदक रोग दिखाई देने लगे तब आपको इसके नियंत्रण के लिए लगभग 50% फूल आने पर एनपीवी 250 एलई 1 मल दवा प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोलकर स्प्रे कर देना चाहिए। इस प्रकार आप कई तरह के रोग और कीटों से चने की फसल को बचा सकते हैं।

ग्रोथ इनहिबिटर्स का सही इस्तेमाल

चने की फसल में आपको ग्रोथ इनहिबिटर्स का सही तरह से इस्तेमाल करना चाहिए। यह लायोसिन डोंगल और इलेक्ट्रिसिटी जैसे इनहिबिटर्स को बढ़ने से रोकते हैं और साथ ही विकास को गति देते हैं इसलिए इसका सही मात्रा में उपयोग होना बहुत जरूरी है।

चने में सिंचाई का सही समय

चने की फसल में सिंचाई करने का एक सही समय होता है जिससे उत्पादन की मात्रा बढ़ती है तो आपको चैन की फसल में सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान देना है कि आपको इसकी सिंचाई बुवाई के 45 से 60 दिन बाद पहली सिंचाई करनी है इसके बाद दूसरी सिंचाई फलियां में दाना बनते वक्त करनी चाहिए जिसके बाद यदि जाड़े की वर्षा हो जाए तब सिंचाई जरूरी नहीं होती है। असिंचित या देरी से बुवाई के दशा में दो प्रतिशत यूरिया के घोल का फूल आने के समय छिड़काव करना बहुत ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। इस प्रकार आप इन सब तथ्यों को अपना करके चने का उत्पादन बढ़ा सकते हैं।

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