अदरक की मांग अधिक है इससे किसान अच्छी-खासी कमाई कर सकते है, तब चलिए जानें अदरक की खेती (Adrak ki kheti) के बारें में पूरी जानकारी-
अदरक की खेती कैसे करें
अदरक भारत की एक महत्वपूर्ण मसाले वाली फसल है और भारत अदरक की खेती में सबसे आगे है। इसकी खेती भारत में करीब 143 हजार हेक्टेयर के क्षेत्रफल में की जाती है, जिसमें सबसे अधिक केरल और मेघालय में। इतना ही नहीं 50 से ज्यादा देशों में से इसका सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश भारत ही है। यानि अदरक को भारत 50 से ज्यादा देशों में भेजता है। अगर आप भी अदरक की खेती कर फायदा कमाना चाहते हैं, हम देंगे आपको अदरक की खेती से जुड़ी सारी जानकारी, इस लेख के माध्यम से।
अदरक की खेती से कितनी कमाई की जा सकती है?
भारत में विश्व के अदरक उत्पादन का 43% हिस्सा होता है। भारत में कई राज्यों के किसान इसकी खेती करते हैं, जिनमें केरल, कर्नाटक, मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और नागालैंड प्रमुख हैं। 2020 में, विश्व भर में अदरक का कुल उत्पादन 4.3 मिलियन टन था, जिसमें भारत का योगदान 43% था। अदरक की खेती कर के आप एक हेक्टेयर जमीन में 20 से 25 लाख रुपए तक कमा सकते हैं, क्योंकि एक हेक्टेयर में 50 टन तक अदरक निकल सकता है और बाजार में इसकी कीमत 80 से 100 रुपए प्रति किलो तक होती है। जब फसल से इतनी कमाई की जा सकती है, तो यह जरूर लगानी चाहिए।
अदरक की खेती का समय
अदरक की फसल को गर्म और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती का सही समय अप्रैल से जून महीने के बीच में ही होता है। जिससे फसल दिसंबर महीने तक पूरी तरह से तैयार हो जाती है और यदि आप जून के बाद अदरक की बुवाई करते हैं, तो इसके कंद सड़ने की संभावना बढ़ जाती है। अदरक की अच्छी उपज के लिए 20 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त माना जाता है। इससे अधिक तापमान होने पर फसल पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। सही तापमान और जलवायु अदरक की अच्छी पैदावार के लिए बहुत जरुरी होते हैं।
अदरक खेती किस मिट्टी में करें?
अदरक की खेती गहरी, अच्छी जल निकास वाली, चिकनी, रेतीली और लाल हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन खेत में पानी जमा बिल्कुल ना होने दें। क्योंकि यह फसल पानी में ज्यादा देर नहीं टिक पाती है। फसल की अच्छी वृद्धि के लिए 6-6.5 के पीएच वाली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। अदरक की खेती करते वक्त इस बात का ध्यान जरूर रखें, कि जिस खेत में पिछली बार अदरक उगाया गया हो, उस खेत में दोबारा इसे उगाने से बचें। अदरक की खेती हर साल एक ही खेत में नहीं की जा सकती है।
अदरक की प्रसिद्ध किस्में
- IISR Varada : यह किस्म ताजा और सूखे अदरक की पैदावार के लिए अच्छी मानी जाती है। इसको तैयार होने में लगभग 200 दिनों का समय लगता है और इसकी औसतन पैदावार 90 क्विंटल प्रति एकड़ है।
- सुप्रभा: इस किस्म को तैयार होने में 220-230 दिनों का समय लगता है। इसमें अधिक किलें (टोलरिंग) निकलते है, इसके कंद का सिरा मोटा, छिलका सफ़ेद और चमकदार होता है। इसकी पैदावार 200 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। सुप्रभा अदरक की किस्म अधिक उपज के लिए बहुत मशहूर है।
- सुरूचि: यह किस्म हल्के सुनहले रंग की होती है और 230 से 240 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार 200 से 225 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह किस्म कंद को गलाने वाले रोग को झेल सकती है।
- सुरभि: इसकी गांठ काफी बड़ी और आकर्षक होती है और 225 से 235 दिन में तैयार हो जाती है। अगर बात करें इसकी पैदावार क्षमता की, तो वह 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह किस्म भी कंद गलाने वाली बीमारी के खिलाफ सहनशील है।
- महिमा (IISR): इस उन्नत किस्म को पकने में 200 दिन तक लगते हैं, और इसकी प्रति हेक्टेयर की पैदावार 230 से 250 क्विंटल तक है। इससे सूखी अदरक 23% और कच्चे रेशे की प्राप्ति 3.3 % और मूलभूत तेल की मात्रा 1.7 % तक प्राप्त होती है।
- रेजाठा (IISR): अदरक की यह उन्नत किस्म की तैयार होने की अवधि 200 दिन है और इसकी पैदावार 220 से 230 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। इससे सूखी अदरक 19% और कच्चे रेशे की प्राप्ति 4% और मूलभूत तेल की मात्रा 2.4% तक प्राप्त होती है।
- अथिरा: यह किस्म 220 से 240 दिनों में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है और इसकी एक हेक्टेयर में होने वाली पैदावार 210 से 230 क्विंटल है। इससे सूखी अदरक 22.6%, कच्चे रेशे की प्राप्ति 3.4% और तेल की मात्रा 3.1% तक प्राप्त होती है।
अदरक के लिए भूमि कैसे तैयार करें?
अदरक के लिए भूमि को तैयार करने में आपको थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। सबसे पहले खेत की हल से 2-3 बार अच्छी तरह जुताई करें और जुताई करते वक्त ही 1 से 1.5 टन प्रति हेक्टेयर में गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट डालें, यह जमीन में पौषक तत्वों की मात्रा को बढ़ा देगी। जुताई और खाद डालने के बाद में रोटावेटर को पूरे खेत में चलाएं, ताकि मिट्टी अच्छी तरह भुरभुरी हो जाए।
इसके अलावा अदरक की खेती क्यारियां बना कर की जाती है, इसके लिए आप 1 मी. चौड़ी और 15 सेंटीमीटर ऊंचाई वाली क्यारियां तैयार करें। ध्यान रखें, खेत में सुविधा पूर्वक काम करने के लिए दो क्यारियों के बीच 30 सेंटीमीटर की दूरी अवश्य होनी चाहिए। इससे सिंचाई, निंदाई और गुड़ाई में समस्या नहीं होगी और खरपतवार भी कम होगा।
अदरक की बिजाई का तरीका
अदरक की खेती कंदो द्वारा की जाती है और बिजाई के 480-720 किलो प्रति एकड़ तक बीज का उपयोग किया जाता है, जो जमीन और क्षेत्र के हिसाब हो सकता है। बिजाई के लिए सबसे पहले आप 20-25 ग्राम वजन वाले कंदो की छटाई कर लें और देखें, कि हर कंद में कम से कम 3 गांठें जरूर होनी चाहिए साथ ही कंदो का आकर भी 2.5 से 5 सेंटीमीटर तक ही होना सही माना जाता है।
अब बुवाई के पहले एक लीटर पानी में 3 ग्राम मैंकोजेब मिलाकर बीज कंदो को आधे घंटे के लिए छोड़ दें और आधे घंटे बाद कंदो को घोल से निकालकर 3-4 घंटों के लिए छाव वाली जगह में सुखा लें। इससे कंदो को फफूंदी से बचाया जा सकता है और अंकुरण भी अच्छा होता है।
अब जो क्यारियां आपने खेत में बनाई हैं, उन्हीं क्यारियों में छोटे-छोटे गड्ढे कर उन गड्ढों में कंदों को रखें और गोबर की खाद और मिट्टी की मदद से ढक दें। कंदों को अच्छी तरह से ढंके ताकि अंकुरण अच्छा हो सके।
अदरक में कब सिंचाई करना होगा सही ?
अदरक की फसल को वैसे तो बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन मिट्टी में नमी बनाये रखना बहुत जरुरी होता है। अगर सिंचाई की बात करें, तो बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए। कंदों के अंकुरण के लिए यह बहुत सही मानी जाती है। अदरक में टपक सिंचाई विधि से फसल की सिंचाई करना फसल के लिए बेहतर हो सकता है साथ ही पानी की बचत भी की जा सकती है।
अदरक के लिए कौन-सी खाद बेहतर?
फसल चाहे जो भी उसमें खाद और उर्वरक की मात्रा हो तभी उसकी उपज बढ़िया होती है। उसी तरह अदरक की खेती समय भी ध्यान रखें कि खाद और उर्वरकों को भरपूर मात्रा और सही समय पर खेत में डाला जाये। उसके लिए जब आप अदरक के लिए खेत को तैयार करें, उसी समय मिट्टी में 150 क्विंटल हर एक एकड़ में रूड़ी की खाद डाल दें, जिससे मिट्टी में पौषक तत्व बढ़ जाएं।
उसके बाद 10 किलो फॉस्फोरस और 10 किलो पोटाश प्रति एकड़ बिजाई करते वक्त खेत में डालें। इसके अलावा 55 किलो यूरिया को दो बराबर भागों में बांटकर एक हिस्सा बिजाई के 75 दिन के बाद और दूसरा हिस्सा बिजाई के 3 महीने बाद डालें। यह उर्वरक अदरक की फसल के विकास में कारगर होंगे।

अदरक में खरपतवार कम कैसे होगा?
खरपतवार किसी भी फसल को ख़राब करने में सबसे अहम भूमिका निभाता है और इससे बचने के लिए, सबसे पहले बिजाई के 3 दिन बाद ही एस्ट्राजिन 4-5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर नमी वाली मिट्टी पर स्प्रे कर दें और फिर बिजाई के 12 से 15 दिनों के बाद ग्लाइफोसेट 4-5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे कर दें। यह सभी नदिनो को ख़त्म करने के सबसे बेहतर होगा और इनका स्प्रे करने के बाद खेत को हरी खाद या धान की पराली से अच्छी तरह से ढक दें।
जब पौधों की ऊंचाई जमीन की सतह से 20-25 सेंटीमीटर ऊपर हो जाये, तब पौधों की जड़ों पर मिट्टी चढ़ाना बिलकुल ना भूलें और पहली निराई-गुड़ाई के बाद हर 25 दिन के अंतर पर 2-3 निराई-गुड़ाई जरूर करें। इससे अदरक के कंद को पौषक तत्व मिलेंगे, इसके साथ ही हवा का आवागमन भी होता रहेगा, जो कंद के विकास में भी मदद करेगा।
कब करें अदरक की खुदाई?
अदरक की खुदाई दो समय पर की जा सकती है। यदि आप सब्जी में उपयोग हेतु अदरक चाहते हैं, तो बुवाई के 5-6 बाद इसकी खुदाई करलें। वहीं, सूखी अदरक के लिए जब बुवाई को 8 से 9 महीने बीत जाएं और इसकी पत्तियां पीली होकर सूखने लगें, तो समझ जाइये आपका अदरक अब खुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार है और आप अब इसकी खुदाई कर सकते हैं।
इसकी खुदाई को फावड़े या कुदाली की मदद से किया जा सकता है, लेकिन शुष्क और नम मौसम में इसकी खुदाई ना करें, इससे नुकसान होने का खतरा रहता है। साथ ही खुदाई में देरी करने पर कंदों कि गुणवत्ता और भण्डारण की क्षमता में गिरावट आ सकती है।
खुदाई करने के बाद, सावधानी के साथ कंदों से मिट्टी और पत्तियों को अलग करके अच्छी तरह धोकर धूप में में सुखा लें। यदि आप सूखी अदरक चाहते हैं तो कंदों को 6-7 घंटे पानी में डुबोकर रखें। इसके बाद नारियल के रेशे या किसी मुलायम ब्रश की मदद से रगड़कर साफ़ करलें और सोडियम हाइड्रोक्लोराइड के घोल में डुबो कर रखें। यह उपाय अदरक को सूक्ष्म जीवों से बचाने के लिए किया जाता है और ऐसा करने से आप इस अदरक का भण्डारण भी अधिक समय तक कर सकेंगे।