जड़ वाली सब्जी की खेती खोलेगी किसानो की बंद किस्मत का ताला, कम लागत में मिलेगा तगड़ा मुनाफा। शलजम एक जड़ वाली सब्जी है, जिसे ठंडे मौसम में उगाया जाता है। इसकी खेती मुख्य रूप से रबी मौसम में की जाती है और यह तेजी से बढ़ने वाली फसल है। आइए इसकी खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण कई खबरे है जिसके बारे में हम आपको विस्तार से बताते है।
शलजम की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
शलजम ठंडी जलवायु में अच्छी तरह बढ़ता है। उचित जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जैविक पदार्थ अधिक हो, सबसे अच्छी होती है। मिट्टी का pH मान 5.5 से 6.8 के बीच होना चाहिए।
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शलजम की खेती कैसे करें
मैदानी क्षेत्रों में सितंबर से नवंबर में करें वही पर्वतीय क्षेत्रों में मार्च से जुलाई में करें। बता दे अधिक उत्पादन के लिए समय पर बुवाई करें। प्रति हेक्टेयर 4-5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। कतारों में बुवाई करने पर कतार से कतार की दूरी 30 सेमी और पौधों के बीच 10 सेमी की दूरी रखें। बीज को 1-1.5 सेमी गहराई पर बोएं। पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें। बाद में हर 7-10 दिनों में सिंचाई करें।
जलभराव से बचाव करें, क्योंकि यह जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। निराई-गुड़ाई करें ताकि खरपतवार न बढ़ें। मल्चिंग करने से भी खरपतवार नियंत्रण में मदद मिलती है। बुवाई के 40-60 दिनों के भीतर शलजम की खुदाई की जा सकती है। समय पर कटाई करने से गुणवत्ता अच्छी रहती है। औसत उत्पादन 150-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकता है।
शलजम से कमाई
शलजम की मांग सर्दियों में अधिक रहती है। इसे ताजा सब्जी के रूप में बेचा जा सकता है या अचार और अन्य कई उत्पादों के लिए उपयोग किया जा सकता है। अच्छी खेती करने से लागत का 2-3 गुना मुनाफा मिल सकता है।
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