बेहद कम खर्चे में धान की ये नई किस्म देगी ज्यादा उपज, पानी की भी बहुत जरूरत नहीं, जानिये इसका नाम और खासियत

बेहद कम खर्चे में धान की ये नई किस्म देगी ज्यादा उपज, पानी की भी बहुत जरूरत नहीं, जानिये इसका नाम और खासियत। जिससे किसानों को हो फायदा।

कम निवेश के लिए लगाएं धान की ये नई किस्म

किसान भाई धान की खेती की तैयारी में लगे हुए हैं। ऐसे में कई किसानों को अभी भी धान की नई वैरायटी की तलाश है, जो की बेहद कम पानी और खाद के साथ तैयार हो जाए। जिससे उनकी लागत कम आये। साथ ही समय भी बहुत ज्यादा ना लगे और उपज भी बढ़िया मिले। तो चलिए आज हम आपको एक ऐसी ही धान के नई वैरायटी की जानकारी देने वाले हैं। जो की कम पानी और खाद के साथ जल्द ही तैयार हो जाती है, और ज्यादा उपज भी देती है।

बेहद कम खर्चे में धान की ये नई किस्म देगी ज्यादा उपज, पानी की भी बहुत जरूरत नहीं, जानिये इसका नाम और खासियत

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सबौर मंसूरी धान कहाँ से आई

दरअसल, हम सबौर मंसूरी धान की बात कर रहे हैं। यह धान की नई वैरायटी है। जिसमें मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दे कि नई वैरायटी की खोज बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा की गई है। इसका परीक्षण भी अभी तक लगभग 125 क्रेन्द्रो में किया जा चुका है। जिससे उनको एक बढ़िया वैरायटी मानी गई है। क्योकि उन्होंने देखा कि इससे डेढ़ गुना अधिक उपज मिल रही है।

यही कारण है कि केंद्र द्वारा इस वेरायटी का नोटिफिकेशन जारी हो रहा। जिसमें खरीफ सीजन में किसान इसकी खेती कर सकते है। बता दे कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तेलंगाना आदि जगहों में इस धान की खेती किसान कर सकते है। तो चलिए आपको सबौर मंसूरी धान की कुछ खासियत बताते हैं।

सबौर मंसूरी धान के बारें जानिये

नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जानिए सबौर धान के बारे में।

  • सबौर मंसूरी धान 135 से 140 दिनों के बीच में तैयार हो जाती है।
  • सबौर मंसूरी धान का औसत उत्पादन एक हेक्टेयर में लगभग 65 से 70 क्विंटल रहता है। जबकि अधिकतम उत्पादन क्षमता इसकी 122 क्विंटल है।
  • सबौर मंसूरी धान के पौधों में 18 से लेकर 20 कल्ले देखने को मिल जाएंगे। सबौर मंसूरी धान की बालियां लगभग 29 सेंटीमीटर तक की रहती है।
  • धान की एक खासियत यह है कि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अन्य स्थानों से कहीं अधिक है।
  • सबौर मंसूरी धान आधी तूफान में सीधी खड़ी रहेगी। यह गिरेगी नहीं। जिससे किसानों को मौसम के बदलाव होने पर नुकसान नहीं होगा।
  • सबौर मंसूरी धान का रंग सुनहरा रहता है।

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