किसानों के लिए पराली बनी सोना, मिट्टी होगी उपजाऊ, यूरिया-डीएपी खाद का खर्चा भी खत्म

किसानों के लिए पराली बनी सोना, मिट्टी होगी उपजाऊ, यूरिया-डीएपी खाद का खर्चा भी खत्म।

किसानों के लिए पराली बनी सोना

फसल तैयार होने के बाद निकली पराला / भूसा किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है। लेकिन कई किसानों को इसकी जानकारी नहीं है। इसी लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) पूसा द्वारा किसानों इसकी जानकारी दी जा रही है। बता दे कि यह पराली खाद बन सकती है। जिससे यूरिया-डीएपी खाद का खर्चा खत्म हो जाएगा। यह खाद रासायनिक खाद से कई गुना ज्यादा अच्छी है। पराली से बनी यह खाद नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है। जिससे फसल को पूरा पोषण मिलता है। जिससे अच्छी पैदावार ली जा सकती है।

वहीँ अगर पराली अगर जलाते है तो इससे कई नुकसान होते है। खेत की मिट्टी खराब होती जाती है। पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है। किसानों को सांस संबंधी समस्या हो सकती है। यानि की कोई फायदा नहीं है। तब चलिए जानते है यह खाद कैसे बनती है।

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पराली से खाद कैसे बनती है

नीचे लिखे 2 बिंदुओं के अनुसार जानिये पराली से खाद कैसे बनती है।

  • पराली से खाद बनाने के तीन तरीके है। जिसमें एक तरीका यह जैविक कल्चर विधि है। जिसमें पहले पराली का ढेर बनाया जाता है। फिर उसमें जैव-एंजाइम पूसा छिड़कते है। जिससे खाद का रूप आता है। यहाँ पर ढेर की ऊंचाई करीब 2 से 2.5 मीटर और लंबाई 10 से 100 मीटर या उससे ज्यादा कर सकते है। एक चीज का ध्यान रखना है कि नमी के लिए पानी छिड़के। साथ ही बता दे कि मशीनों के द्वारा पलटा जाता है। इसमें लगने वाले समय की बात करें तो 50-55 दिन में खाद बन जाती है। फिर स्टोर भी कर सकते है और खेतों में डाल भी सकते है।
  • इसक आलावा पराली से खाद गोबर मिश्रण विधि से भी बनाई जा सकती है। जिसके लिए 80% पराली और 20 % ताजा गोबर लेकर उन्हें अच्छे से मिलाकर खाद बनाना है। यहाँ पर पराली को 8-10 सेंटीमीटर लंबाई में काटते है। खाद बनाने के लिए इसमें जैविक कल्चर डालना है। समय इसमें भी 30-40 दिन लगेगा। फिर बढ़िया खाद तैयार होगी। अगर आप चाहे तो इसमें रॉक फॉस्फेट भी मिला सकते है। जिसमें फॉस्फोरस होता है।

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