4000 लीटर दूध देने वाली धाकड़ गाय, देसी-विदेशी दोनों गायों के गुणों से संपन्न, सभी जलवायु में पल जायेगी, नहीं लगेगा रोग। जानिये इस गाय का नाम और खासियत।
देसी-विदेशी दोनों गायों के गुणों से संपन्न
पशुपालकों को कमाई तभी है जब वह ऐसी नस्ल की गाय का पालन करें जिससे ज्यादा से ज्यादा मात्रा में दूध मिले और वह गाय जल्दी बीमार ना पड़े। लेकिन अगर पशुपालक कोई ऐसी विदेशी नस्ल का पालन करते हैं जो की दूध तो बढ़िया देती है लेकिन जल्दी बीमार पड़ जाती है तो इसमें उनका घाटा हो जाता है। लेकिन आज हम आपके लिए जिस गाय की जानकारी लेकर आए हैं वह देसी और विदेशी दोनों गुणों से संपन्न है। यानी कि वह एक ऐसी क्रॉस ब्रीड है जिसे साहिवाल और होलस्टीन फ्राइज़ियन जो की एक विदेशी नस्ल की जर्सी है उससे क्रॉस करके बनाया गया है।
तो आपको बता दे कि इसमें साहिवाल गाय के 37.5% गुण है। वही होलस्टीन फ्राइज़ियन की बात करें तो 52.5 से प्रतिशत इसके गुण वंशानुक्रम है। जिसके वजह से यह गाय बढ़िया मात्रा में दूध भी देगी और भारतीय जलवायु के अनुसार पल भी जाएगी। कोई भी किसान इसका पालन करके अच्छे खासी कमाई कर सकते हैं। इसकी खासियत यह है कि यह जल्दी बीमार नहीं पड़ेगी। जिससे इलाज में खर्च नहीं आएगा तो चलिए जानते हैं इस गाय का नाम दूध देने की क्षमता के बारे में।
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जानें इस गाय का नाम और खासियत
दरअसल हम फ्रीजवाल नस्ल की गाय की बात कर रहे हैं। इस गाय का विकास आईसीएआर केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान में मेरठ के द्वारा रक्षा मंत्रालय के सहयोग से किया गया है। चलिए नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जानते हैं इस गाय की खासियत के बारे में।
- फ्रीजवाल गाय बढ़िया मात्रा में दूध देने के लिए जानी जाती है।
- फ्रीजवाल गाय हमारे देश के कृषि जलवायु क्षेत्र के लिए अनुकूल मानी जाती है।
- यह गाय का एक ब्यांत में करीब 300 दिनों तक दूध देगी। जिससे पशु पालक मालामाल हो सकते हैं।
- फ्रीजवाल गाय एक ब्यांत में करीब 4000 लीटर दूध देती है। यानी कि औसतन दूध का उत्पादन देखा जाए तो एक दिन में 12 से 13 लीटर और शुरुआती दिनों में तो यह 20 से 22 लीटर दोनों टाइम का दूध मिलाकर देती है। इस तरह यह गाय बढ़िया मात्रा में दूध देगी।
- फ्रीजवाल गाय का दूध पोषक तत्वों से भरा हुआ होता है। इसमें प्रोटीन 3.04, वसा 4.11, लैक्टोज 4.56 और ठोस गैर वसा करीब 8. 44 फ़ीसदी तक होता है। यानी कि इसका दूध भी बढ़िया होता है।
इस तरह यह गाय किसानों के लिए बढ़िया है। हर जलवायु में या ढल जाएगी। जल्दी बीमार नहीं होगी। कई बीमारियों के प्रति यह सहनशील है। इसके बारे में किसानों को मेरठ स्थित केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान में जानकारी भी मिल जाएगी।
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