लो टनल तकनीक से सर्दियों में ऑफ सीजन सब्जियां की खेती कर किसान कमा सकते मोटी रकम 

On: Friday, November 14, 2025 9:44 PM
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किसानों के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर (ICAR) ने लो टनल तकनीक बनाई है, जिससे किसान ऑफ़ सीजन सब्जियां उगा कर दोगुनी आमदनी कमा सकते हैं । चलिए जानते हैं लो टनल तकनीक क्या है विस्तार से। 

लो टनल तकनीक क्या है ?

लो टनल तकनीक में लचीली पारदर्शी प्लास्टिक शीट सब्जियों की कतारों पर लगाया जाती है, जिससे पौधे पाला और कोहरे से बच सकें और पौधों के आसपास गर्म हवा बनी रहे। यह एक तरह से पौधों के सुरक्षा कवच का काम करती है। पौधे ठंड से बचकर अच्छे से और जल्दी बढ़ते हैं, इसलिए ये तकनीक ऑफ़ सीजन सब्जियों को उगाने के लिए बहुत सहायक है।

जैसा कि हम जानते हैं सर्दियों में बहुत सारी हरी सब्जियां मार्किट में दिख जाती हैं, पर अगर एक ही तरह की सब्जिया हर कोई बेच रहा हो ,और कोई एक ऑफ़ सीजन सब्जिया बेच रखा हो, तो अक्सर लोगों का ध्यान वहीं जाकर रुकता है। इसलिए इस तकनीक से किसान ऑफ़ सीजन सब्जियां उगा कर तगड़ी आमदनी कर सकते हैं।  

लो टनल तकनीक का निर्माण कैसे करें  

लो टनल तकनीक का निर्माण करना बहुत आसान है और इसमें ज्यादा खर्च नहीं आता है। आइए जानते हैं इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर द्वारा बताई गई निर्माण विधि-

  • पहले जस्ती लोहे की रॉड जो की (1.5 से 2.5 मी.) की हो, उस पर 100 माइक्रोन IR ग्रेड प्लास्टिक चढ़ाएं, 
  • ऊंचाई 40 से 60 सेंटीमीटर रखनी है,
  • पौधे की रोपाई 50 सेंटीमीटर की दूरी पर करनी है, साथ में ड्रिप सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल करना है,
  • पौधे के कतारों के बीच की दूरी 1.5 से 1.6 मीटर होनी चाहिए।  

बताई गई विधि को अपनाकर ही लो टनल तकनीक का निर्माण करें, ताकि कोई परेशानी का सामना न करना पड़े और टनल का निर्माण अच्छे से हो जाए। 

लो टनल तकनीक के फायदे और कौन सी सब्जियां उगा सकते 

यह तकनीक पौधों को ठंड, पाला और तेज हवा से बचाती है। फसल को 30 से 40 दिन पहले तैयार कर देती है। इस तकनीक़ में ज्यादा खर्च नहीं आता और ये लंबे समय तक चलती है। किसानों को ऑफ सीजन सब्जियों से ज्यादा मुनाफा होता है क्योंकि मार्केट में डिमांड ज्यादा रहती है। 

लो टनल तकनीक से किसान भाई खीरा, तोरई, करेला, लौकी, टमाटर, मिर्च, बैंगन, पत्ता गोभी, फूल गोभी, ब्रोकली आसानी से उगा सकते हैं।  यह तकनीक से किसानों की आय तो बढ़ेगी ही ,साथ ही किसानों में आत्मनिर्भरता भी आएगी।  

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